सोमवार, 14 मई 2012

या निशा सर्व भूतानां तस्यां जागर्ति संयमी ! 
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुने !!

अर्थात- ज्ञानी तत्वदर्शन में जागता है जिसमे सारे प्राणी सोते हैं, 
और सारे प्राणी जिस माया में जागते हैं तत्व ज्ञानी के लिए वही
रात है वह उसमे सोता है ! माया अनादि है, परन्तु शांत है
क्योंकि तत्वज्ञान होने पर इसका अंत हो जाता है !
किन्तु जब माया अनादि है तो इससे पार कैसे पाया जासकता है ?
इसपर कृष्ण कहते है की यह त्रिगुणमयी मेरी देवी माया है
इसका पार पाना कठिन है किन्तु जो मुझमे अनुराग रखता है
वह इस माया से पार पा सकता है !
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

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