गुरुवार, 7 जून 2012


बात बहुत छोटी है अर्थ बहुत गहरा है, सोने की खानों पर चोरों का पहरा है !
कागज़ के फूलों से गंध कहाँ आती है, वक्त कहीं रुकता है ? जल कहाँ ठहरा है !
सारहीन सपने हैं सारहीन मेला है, रोज़ घाव खाए है रोज़ दर्द झेला है
जीवन के अनुभव से एक बात समझी है भीड़भरी दुनिया में आदमी अकेला है

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