रविवार, 10 जून 2012

कुचैलिनं दंत्मलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरवाक्य धारिणं !
सूर्योदये ह्यस्त मयेपि शायिनं विमुंचति श्रीरपि चक्रपाणिनं !!

अर्थात - जो मलिन वस्त्र धारण करता है, दांतों को स्वच्छ नहीं रखता,
अधिक भोजन करने वाला है, कठोर वचन बोलता है, सूर्योदय और 
सूर्यास्त के समय भी सोता है, अगर वो साक्षात विष्णु हो तो 
 उसे भी लक्ष्मी छोड़ देती हैं आम प्राणियों की गणना ही कहाँ है !!

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