रविवार, 17 जून 2012


ज्ञानी और अज्ञानी में बाहर कोई अंतर नहीं दिखाई देता किन्तु भीतर के
ताल पर बड़ा अंतर हो जाता है !अज्ञानी के कार्य, मन, बुद्धि अहंकार एवं
वासना-तृप्ति के लिए ही होते हैं !वह शरीर पोषण में ही केन्द्रित रहता है !
आत्मज्ञानी संसार की तरह बरसता हुआ भी संसार से भिन्न है !
यह भिन्नता भीतरी बोध की है !!

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