गुरुवार, 14 मई 2020

बृहस्पति हुए वक्री आपकी राशि पर कैसा रहेगा प्रभाव


आजकल अतिचारी होकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के द्वितीय चरण तथा मकर राशि में गोचर करते हुए देवगुरु बृहस्पति 14 मई की की शाम 07 बजकर
56 मिनट पर 4 माह के लिए वक्री हो रहे हैं, ये पुनः 13 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर मार्गी होंगे | धनु तथा मीन राशि के स्वामी
गुरु का वक्री होना पृथ्वी वासियों विशेष करके केंद्र एवं राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, साधु-संतो और अन्य आध्यात्मिक गुरुओं के साथ-साथ
प्राकृतिक आपदाओं, आंधी तूफानों के अधिक से अधिक आने के संकेत है |
फलित ज्योतिष में वक्री गुरु से तात्पर्य-
संहिता ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रह के वक्री होने का अर्थ है, उस ग्रह का अपने ही गंतव्य मार्ग से पुनः वापस लौटना अथवा मार्ग से मुह फेर
लेना प्राणियों को उसग्रह के मार्गी होने से मिल रही सकारात्मक ऊर्जा का बाधित होना-रुकजाना | गुरु को सृष्टि का आध्यात्मिक ज्ञान प्रदाता कहा
गया है, ये ब्रह्मज्ञान, शिक्षण संस्थाओं, भारी उद्योगों, बैंकों, जीवन बीमा निगम जैसी संस्थाओं, गैस के भंडारों, धार्मिक कार्यों, धर्माचार्यों एवं शासन
सत्ता के सलाहकारों के कारक हैं | इनके वक्री होने की घटना को व्याहारिक दृष्टि से देखें तो महत्व समझ में आयेगा कि जो व्यक्ति आप को
सद्बुद्धि-सन्मार्ग पर ले जाता है वही आप से मुहफेर ले तो कैसा लगेगा, आप पर क्या गुजरेगी ! बस वक्री का अर्थ यही होता है | इनके वक्री होने का
सर्वाधिक असर संत-महात्माओं पर होता है | उनके चाल-चलन पर आरोप प्रत्यारोप लगने आरम्भ हो जाते हैं, कहीं न कहीं उनकी सामाजिक गरिमा का
ह्रास होने लगता है यहाँतक कि, उनपर हमले होते हुए भी देखा गया है प्राचीन काल में इसी गुरु की वक्री अवस्था में असुर राजाओं द्वारा संत महात्माओं
और यज्ञकर्ता वैदिक ब्राह्मणों पर अत्याचार होता रहा है इसलिए इनका वक्री होना इन सबके लिए बेहद अशुभ संकेत है |
गुरु द्वारा आत्मबोध का ज्ञान-
प्राणियों की जन्मकुंडली में बृहस्पति की शुभ स्थानों की स्थिति उन्हें आत्मबोध की ज्योति प्रदान करती है अतः इनका वक्री होना, उच्च राशि अथवा
नीचराशिगत होना, स्वगृही, मित्रगृही, दिग्बली, दृष्टि सम्बन्ध आदि सब जीवन के अति महत्व पूर्ण अंग हैं | ये जब मार्गी रहते हैं तो बुद्धि को सुचारू
रूप से सही दिशा में चलाते है किन्तु वक्री होने पर मन-मस्तिस्क में भय-भ्रम और विषाद
पैदा कर देतें हैं | जिनकी कुंडली में गुरु अशुभ भाव में हों अथवा अशुभ राशि में गोचर कर रहे हों वे इस अवधि में अधिक परेशान होंगें, क्योंकि
अशुभ गुरु के समय व्यक्ति भावावेश में कई ऐसे निर्णय ले लेता है जो स्वयं उसी के लिए आत्मघाती सिद्ध होते हैं | यहाँतक कि सरकारें भी न्याय
और नितिपरक निर्णय लेने में असमर्थ हो जाती हैं मंत्रिमंडल में अधिकतर फेरबदल अथवा विस्तार ऐसी ही अवधि में होते हैं | सभी राशि वालों के
लिए यह समय अति सूझ-बूझ और सावधानी बरतने का है, अतः संयम से काम और निर्णय लें |
गुरु के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय-
अशुभ गुरु की शांति के लिए ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः, मंत्र का जप करना तथा गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करना उत्तम रहेगा | बृहस्पति
का ही गायत्री मंत्र ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात् | का जप हर तरह की गुरुजन्य परेशानियों से मुक्ति देगा |
पञ्चपल्लव जिनमें आप, पाकड़, पीपल, गूलर तथा बरगद के वृक्षों का आरोपण करने के साथ साथ गुरु के प्रिय वृक्ष नीम, अनार और कनेर के
वृक्षों का रोपण करना भी आपके संकल्प सिद्धि में सहायता करेगा |
वक्री बृहस्पति का आपकी राशि कैसा रहेगा प्रभाव-
मेष राशि- राशि से दशमभाव में गुरु कार्यक्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल बनाएंगे किंतु, शुभ ग्रह होने के फलस्वरूप यह नौकरी
में पदोन्नति और स्थान परिवर्तन का भी योग बनाएंगे | नई सर्विस के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो अवसर अच्छा रहेगा |
विदेश यात्रा अथवा विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन आदि करना शुभ रहेगा |
वृषभ राशि- राशि से धर्मभाव में बृहस्पति का गोचर आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा तो बढ़ाएगा किन्तु धर्म-कर्म के मामलों में अधिक
खर्च होगा | संतान संबंधी चिंता से कुछ मानसिक अशांति रहेगी | नवदंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग बन
रहे हैं | मकान वाहन से संबंधित क्रय का संकल्प पूर्ण होने के योग |
मिथुन राशि- राशि से अष्टमभाव में बृहस्पति मिले-जुले फल देंगे | स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव रहेगा | कार्य क्षेत्र में भी षड्यंत्र का
शिकार होने से बचे | अचल संपत्ति के साथ वाहन खरीदने का संकल्प पूर्ण होगा | परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से मतभेद ना पैदा
होने दें | आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे, सावधान रहें |
कर्क राशि- राशि से सप्तमभाव में बृहस्पति का गोचर करना दैनिक व्यापारियों के लिए शुभ रहेगा किंतु, शादी विवाह से संबंधित
वार्ता में थोड़ा विलंब हो सकता है | ससुराल पक्ष से रिश्ते बिगड़ने न दें, इस अवधि के मध्य साझा व्यापार आरंभ करने से बचें |
उच्चाधिकारियों से भी मधुर संबंध बनाए रखें, शासन सत्ता का सदुपयोग करें |
सिंह राशि- राशि से छठें शत्रुभाव में बृहस्पति का वक्री होना गुप्त शत्रुओं से परेशान करेगा | इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के
लेन-देन से और फिजूलखर्ची से भी बचें | कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा | कष्टकर यात्रा भी
करनी पड़ सकती है, किसी अप्रिय समाचार से मन अशांत होगा |
कन्या राशि- राशि से पंचमभाव में गुरु के वक्री होने से प्रेम संबंधी मामलों में तो नुकसान हो सकता है किंतु शिक्षा प्रतियोगिता में
अच्छी सफलता मिलेगी संतान के दायित्व की पूर्ति होगी नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रभाव कभी योग बन रहा है | परिवार
के सदस्यों से लाभ होगा और बड़े भाइयों से मतभेद पैदा होने दें |
तुला राशि- राशि से चतुर्थ भाव में गुरु का वक्री होना पारिवारिक एवं मानसिक अशांति लाएगा | यात्रा के समय सामान चोरी होने
से बचाएं | माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें फिर भी, मकान वाहन से संबंधित क्रय का संकल्प पूर्ण होगा | कार्यक्षेत्र
का विस्तार होगा और सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी |
वृश्चिक राशि- तृतीय पराक्रमभाव में गुरु का वक्री होना आपके स्वभाव में उग्रता ला सकता है इसलिए संयम बरकरार रखें |
सामाजिक कार्यों के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे | संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी | शादी विवाह से संबंधित
वार्ता भी सफल रहेगी दैनिक व्यापारियों के लिए विशेष शुभ  |
धनु राशि- राशि से द्वितीय धनभाव में बृहस्पति का वक्री होना मिलाजुला फल देगा किसी महंगी वस्तु का क्रय करेंगे | आकस्मिक
धन प्राप्ति के योग भी बनेंगे | परिवार में आपसी मेलजोल बनाकर रखें, टकराव की स्थिति उत्पन्न होने दें | कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का
शिकार होने से बचें | उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें
मकर राशि- आपकी राशि में ही वृहस्पति का वक्री होना मानसिक तनाव देगा और कहीं ना कहीं आप में अहंकार का भाव पैदा होगा
इससे बचें | अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता मिलती रहेगी | शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता
एवं शादी विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी | दैनिक व्यापारियों के लिए विशेष लाभ |
कुंभ राशि- राशि से हानिभाव में बृहस्पति का वक्री होना कुछ अप्रिय सूचना दे सकता है | भागदौड़ की अधिकता रहेगी कष्टकर यात्रा
भी करनी पड़ सकती है | अधिक व्यय के परिणामस्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है | गुप्त शत्रुओं के साथ ही
इस अवधि के मध्य उधार देने से भी बचें अन्यथा दिया गया धन वापस आने में संदेह |
मीन राशि- राशि से लाभभाव में बृहस्पति का वक्री होना परिवार के बड़े सदस्यों से मतभेद तो पैदा कर सकता है किंतु लाभ मार्ग प्रशस्त
होगा, रुका हुआ धन आएगा | विद्यार्थियों के लिए यह समय किसी वरदान से कम नहीं है, इसलिए परीक्षा में अच्छी सफलता के लिए
पढ़ाई में भी अधिक समय लगाएं | प्रेम संबंधों में समय नष्ट न करें |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें