एकोऽपि गुणवान पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः !
एकश्चन्द्रः तमो हन्ति न च तारा सहस्त्रशः!!
मनुष्य के जीवन की उपादेयता एक गुणवान पुत्र से हो सकती है !
सैकड़ों गुणहीन पुत्र उसके लिए महत्व हीन होते हैं एक अकेला चंद्रमा
रात्रि के अन्धकार को हरलेता है जबकि असंख्य तारे मिलकर भी रात्रि
के अन्धकार को हरने में सक्षम नहीं होते ! इसीलिए दम्पत्तियों को
चाहिएकि अपनी संतान को संस्कारवान, गुणवान व शीलवान बनायें !!