मंगलवार, 24 जनवरी 2017

मित्रों प्रणाम ! मेरे परमेश्वर श्रीमहाकाल के असीम कृपाप्रसाद से हमारी संस्था 'शिवसंकल्पमस्तु' ने श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, श्रीसोमनाथ, श्रीनागेश्वर, श्रीत्रयंबकेश्वर, श्रीभीमशंकर, श्रीघुष्मेश्वर और श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पर 'श्रीमहारुद्राभिषेक' यज्ञ करने के पश्च्यात आगामी स्वयंसिद्ध मुहूर्त बसंत पंचमी' के पावनपर्व पर श्रीरामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु) में श्रीमहारुद्राभिषेक करने का कार्यक्रम रखा है यज्ञ में संस्था की ओर से आपसभी शिवगणों का स्वागत है | 
 पं जयगोविन्द शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी) दिल्ली
मित्रों प्रणाम ! मेरे परमेश्वर श्रीमहाकाल के असीम कृपाप्रसाद से हमारी संस्था 'शिवसंकल्पमस्तु' ने श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, श्रीसोमनाथ, श्रीनागेश्वर, श्रीत्रयंबकेश्वर, श्रीभीमशंकर, श्रीघुष्मेश्वर और श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पर 'श्रीमहारुद्राभिषेक' यज्ञ करने के पश्च्यात आगामी स्वयंसिद्ध मुहूर्त बसंत पंचमी' के पावनपर्व पर श्रीरामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु) में श्रीमहारुद्राभिषेक करने का कार्यक्रम रखा है यज्ञ में संस्था की ओर से आपसभी शिवगणों का स्वागत है | 
 पं जयगोविन्द शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी) दिल्ली

शनिवार, 14 जनवरी 2017

              देव शक्तियों के पृथ्वीपर आगमन का दिन है 'मकर संक्रांति'
आज सूर्यदेव के दक्षिणायन की यात्रा समाप्त कर उत्तरायण की राशि 'मकर' में प्रवेश करने के साथ ही देवताओं के दिन और पितरों की रात्रि का शुभारंभ हो जायेगा, परिणाम स्वरूप सभी तरह के मांगलिक कार्य, यज्ञोपवीत, शादी-विवाह, गृहप्रवेश आदि आरम्भ हो जायेंगे ! सूर्य का मकर राशि प्रवेश पृथ्वी वासियों के लिए वरदान की तरह है, क्योंकि श्रृष्टि के सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि इस अवधि के मध्य तीर्थराज प्रयाग में एकत्रित होकर गंगा-यमुना-सरस्वतीके पावन संगम तट पर स्नान, जप-तप, और दान-पुण्य कर अपना जीवन धन्य करते हैं | शास्त्र कहते हैं कि, यहाँ की एक माह की तपस्या परलोक में एक कल्प तक वास का अवसर देती है इसीलिए यहाँ भक्तजन कल्पवास भी करते हैं |श्री तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है कि, माघ मकर रबिगत जब होई | तीरथपति आवहिं सब कोई || देव दनुज किन्नर नर श्रेंणी | सादर मज्जहिं सकल त्रिवेंणी || एहि प्रकार भरि माघ नहाहीं | पुनि सब निज-निज आश्रम जाहीं ||अर्थात- माघ माह में मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर सभी तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगमतट पर मासपर्यंत वास करते हुए स्नान-ध्यान तपादि करते हैं वैसे तो प्राणी इसमाह में किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य करके त्रिबिध तापों सेमुक्ति पा सकता है किन्तु प्रयागतीर्थ के मध्य दैवसंगम का फल सभी कष्टों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष देने में सक्षम है | यहाँ का एक माह का कल्पवास करने से जीवात्मा एक कल्प तक जीवन-मरण के बंधन से मुक्त रहता है इसमाह अपने पितरों को अर्घ्य देने और श्राद्ध-तर्पण आदि करने से पितृश्राप से भी मुक्ति मिल जाती है |मत्स्य पुराण के अनुसार प्रयाग तीर्थ में आठ हज़ार श्रेष्ट धनुर्र्धारी हर समय माँ गंगा की रक्षा, सूर्यदेव अपनी प्रियपुत्री यमुना की रक्षा, देवराज इंद्र प्रयाग की रक्षा, शिव अक्षय वट की और विष्णु मंडल की रक्षाकरते हैं | इस अवधि में लौकिक-पारलौकिक शक्तियां इकट्ठा होकर संगम तट पर अनेकानेक रूपों में वास करती हैं परिणाम स्वरुप यहाँ जल का स्तर बढ़ जाता है | यह अद्भुत संयोग जीवात्माओं को अपने किये गए शुभ-अशुभ कर्मों का प्रायश्चित करने का सुअवसर देता है | सूर्य के सहयोग से ही ब्रह्मा जी सृष्टि का सृजन करते हैं, ''सूर्य रश्मितो जीवोऽभि जायते'' अर्थात सूर्य की किरणों से ही जीव की उतपत्ति होती है |कर्मविपाक संहिता में भी कहा गया है कि, ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वरा, ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षीभूतं जगत्त्रये | अर्थात- ब्रह्मा, विष्णु, शिव, शक्ति, देवता, योगी ऋषि-मुनि आदि  तीनों लोकों के शाक्षी भूत भगवान् सूर्य का ही ध्यान करते हैं | सूर्यदेव ऐसे देवता हैं जो केवल जल अर्घ्य देने से ही प्रसन्न हो जाते हैं | जीवात्मा की जन्मकुंडली में भी सूर्य की स्थिति का गंभीरतासे विचार किया जाता है क्योंकि, अकेले सूर्य ही बलवान हों तो सात ग्रहों का दोष शमन करदेते हैं 'सप्त दोषं रबिर्र हन्ति शेषादि उत्तरायणे'' उत्तरायण हों तो आठ ग्रहों का दोष शमन कर देते हैं | शास्त्र भी प्राणियों को भगवान् सूर्य को जल का अर्घ्य देने की सलाह देते हैं | जो मनुष्य प्रातःकाल स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देता है उसे किसी भी प्रकार का ग्रहदोष नहीं लगता क्योंकि इनकी सहस्रों किरणों में से प्रमुख सातों किरणें सुषुम्णा, हरिकेश, विश्वकर्मा, सूर्य, रश्मि, विष्णु और सर्वबंधु, जिनका रंग बैगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल है हमारे शरीर को नयी उर्जा और आत्मबल प्रदान करते हुए हमारे पापों का शमन कर देती हैं प्रातःकालीन लाल सूर्य का दर्शन करते हुए ''ॐ सूर्यदेव महाभाग ! त्र्यलोक्य तिमिरापः मम् पूर्वकृतं पापं क्षम्यतां परमेश्वरः'' यह मंत्र बोलते हुए सूर्य नमस्कार करने से जीव को पूर्वजन्म में किये हुए पापों से मुक्ति मिलती है ! पं. जयगोविन्द शास्त्री