मंगलवार, 17 दिसंबर 2013


ते जन्मभाजः खलु जीवलोके ये वै सदा ध्यायन्ति विश्वनाथम् !
वाणी गुणान् स्तौति कथां श्रृणोति श्रोत्रद्वयं ते भवमुत्तरन्ति !!

अर्थात - जो सदा भगवान् शिव का ध्यान करते हैं, जिनकी वाणी
शिव के गुणों की स्तुति करती है और जिनके कान उनकी कथा
सुनते हैं, इस जीव-जगत् में उन्हीं का जन्म लेना सफल है ! वै
निश्चय ही संसार-सागर से पार हो जाते हैं ! ''शिवसंकल्पमस्तु''

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