यस्याज्ञया जगत्स्रष्टा विरंचिः पालको हरिः !
संहर्ता कालरुद्राख्यो नमस्तस्मै पिनाकिने !!
रूद्र त्वं दैत्य नाशाय सदा भस्मांग धारकः !
नागहारोपवीती च पूजां गृहणीधष्व में प्रभु !!
अर्थात - जिनकी आज्ञा से ब्रह्मा जी इस जगत की सृष्टि
तथा विष्णुभगवान पालन करते हैं और जो स्वयं ही कालरूद्र
नाम धारणकरके इस विश्व का संहार करते हैं, उन पिनाकधारी
भगवान शंकर को नमस्कार है | हे ! रूद्र आप दैत्यों के संहारक
हैं सदा ही भष्मधारण किये नागराज को यज्ञोपवीत रहते हैं !
संहर्ता कालरुद्राख्यो नमस्तस्मै पिनाकिने !!
रूद्र त्वं दैत्य नाशाय सदा भस्मांग धारकः !
नागहारोपवीती च पूजां गृहणीधष्व में प्रभु !!
अर्थात - जिनकी आज्ञा से ब्रह्मा जी इस जगत की सृष्टि
तथा विष्णुभगवान पालन करते हैं और जो स्वयं ही कालरूद्र
नाम धारणकरके इस विश्व का संहार करते हैं, उन पिनाकधारी
भगवान शंकर को नमस्कार है | हे ! रूद्र आप दैत्यों के संहारक
हैं सदा ही भष्मधारण किये नागराज को यज्ञोपवीत रहते हैं !
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