बुधवार, 6 मई 2020

हनुमान जयंती विशेष 08 अप्रैल बुधवार

हनुमान जयंती विशेष 08 अप्रैल बुधवार
कर्क राशि से दक्षिण के सनातन धर्मानुसार श्री हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा बुधवार 8 अप्रैल को है इसी दिन भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र ने
वानरराज केसरी और माता अंजना के घर पुत्र रूप में जन्म लिया | वैसे तो हनुमान जी का जन्मदिन एक सौरवर्ष में दो बार मनाया जाता है,
वो ऐसे कि कर्क राशि से दक्षिण के वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मानते हैं, जबकि कर्क राशि से उत्तर के वासी हनुमान जी का जन्म
कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मानते हैं किन्तु दोनों मतों के अनुसार इनका जन्म मध्यरात्रि महानिशीथ काल में हुआ ही मानते हैं शास्त्रों में दोनों
का उल्लेख मिलता है फिर भी यह त्यौहार समूचे भारतवर्ष में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है | भक्ति अवतार के रूप में भगवान शिव
के ग्यारहवें रूद्र हनुमान के जन्मोत्सव पर की जाने वाली पूजा का अमोघ फल होता है, कोई भी प्राणी श्रद्धा और विश्वास पूर्वक इनकी पूजा करता
है तो उसे किसी भी प्रकार के आरिष्ट का भय नहीं रहता | इन्हें पूजा में चोला चढाने के साथ-साथ सुगन्धित तेल और सिंदूर चढ़ाने का भी विधान
है | जयंती के उत्सव स्वरुप कई जगह श्रद्धालुओं द्वारा झांकियां निकाली जाती हैं, जिसमें उनके जीवनचरित्र का नाटकीय प्रारूप प्रस्तुत किया जाता
है, और बहुत से भक्त उन्हें छप्पन प्रकार का भोग भी लगाते हैं |
हनुमान जी बाल्यकाल में ही तरह-तरह की लीलायें करना आरंभ कर दिए | अधिक भूंख लगने के कारण एक बार वे आकाश उदय होते लाल सूर्य को
मधुर फल समझकर मुह में भर लिया | जिसके कारण संसार में अन्धेरा छा गया, इसे देवताओं पर आई बिपत्ति मानकर देवराज इन्द्र ने आंजनेय
पर अपने वज्र से प्रहार किया | जिसके प्रभाव से उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, उसी के कारण इनका नाम हनुमान पड़गया | इन्हें प्रसन्न करने का प्रमुख
उपाय है कि अपने घर में नित्यप्रति राम नाम का गुणगान करतेरहना | राम भक्तों की रक्षा करने के लिए हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं इन्होंने सभी
नौ ग्रहों को राक्षसराज रावण से मुक्त कराया था जिसके फलस्वरूप शनि सहित सभी ग्रहों का वरदान है कि, हनुमान के सच्चे भक्त को ग्रहों के
दोष-मारकेश अथवा मरणतुल्य कष्ट देने वाले ग्रहों की दशादि का दोष नहीं लगेगा | इनकी आराधना करते रहने पर सभी अशुभग्रह शुभफल देने को
विवश हो जाते हैं | इनमें तेज, धृति, यश, चतुरता, शक्ति, विनय, नीति, पुरुषार्थ, उत्तम बुद्धि, शूरता, दक्षता, बल, धैर्य और पराक्रम हमेशा विद्यमान
रहते हैं | अतः इनके स्मरण से मनुष्य में बुद्धि, बल, यश, धैर्य निर्भयता, आरोग्यता, विवेक और वाक्पटुता आदि गुण तत्क्षण आ जाते हैं | प्रसन्न होने
पर ये आठों सिद्धियों, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व  और नौ निधियों 'पद्म निधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि,
मुकुंदनिधि, नन्दनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्वनिधि" इनमें से कुछ भी दे सकते हैं |
इनका मंत्र- ऊँ हनुमते नम: अथवा, अष्टादश मंत्र 'ॐ भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा' का जप करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से तो
मुक्ति मिलती ही है साथ ही घर में, आफिस या दूकान में, शोरूम अथवा किसी भी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान में नित्यप्रति इनकी आराधना करने
से नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, मरण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, विद्वेषण आदि से पूर्णतः मुक्ति मिल जाती है |
पूजा का मुहूर्त- आज मंगलवार 07 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा ति​थि दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर आरम्भ होगी और कल 08 अप्रैल बुधवार को
सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक विद्यमान रहेगी, उसकेबाद बैसाख कृष्ण पक्ष आरम्भ हो जायेगा किन्तु, दिल्ली में सूर्य उदय सुबह 06 बजकर
03 मिनट होगा और पूर्णिमा सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक ही है भक्तों के लिए सुखद संयोग यह है कि इसी अवधि में मध्य लाभ और अमृत
चौघड़िया रहेगी, साथ ही बुध और चन्द्र की होरा भी विद्यमान रहेगी | अतः इस अवधि के मध्य श्री हनुमान जी की जयंती के हेतु किये जप-तप
पूजा-पाठ श्रृंगार आदि का समापन करना अत्यंत कल्याणकारी रहेगा |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें