बुधवार, 3 जून 2020

5 जून को चंद्रग्रहण नहीं, अफवाहों से रहें सावधान !

5 जून को चंद्रग्रहण नहीं, अफवाहों से रहें सावधान !
ज्येष्ठ शुक्लपक्ष पूर्णिमा शुक्रवार 5 जून को चंद्र ग्रहण को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है | कई लोग जनता को डराने की दुकान खोलकर बैठ भी गए हैं | टीवी, अखबार पत्र पत्रिकाओं में डरावने कालम भी खूब लिखे जा रहे हैं जो समाज के लिए गलत सन्देश देने अथवा जनता को गुमराह करने से अधिक कुछ भी नहीं है | सोसल नेटवर्किंग पर भी इससे सम्बंधित भ्रमित करने वाले विडिओ की भरमार है, किन्तु जनमानस के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी यह है कि इसदिन चंद्रग्रहण के रूप में प्रचार-प्रसार की जाने वाली वालीघटना चंद्रग्रहण है ही नहीं | इस तरह का योग जब भी बनता है उसे चंद्रमालिन्य योग कहते हैं इसे ग्रहण नहीं कहा जाता | इस घटना  में पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करने से चंद्रमा की छवि धूमिल दिखाई देती है | कोई भी चन्द्रग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है |जिसे उपच्छाया कहते हैं | इसदिन चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे अतः इसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा | ये पृथ्वी की परछाई से ही बाहर आ जाएंगे इसलिए ग्रहण से संबंधित किसी भी तरह का दोष अथवा दुष्प्रभाव पृथ्वी वासियों पर लागू नहीं होगा | सभी बारह राशियों पर भी किसी तरह को कोई प्रभाव-दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा | आपसभी को अपनी राशि और उससे घटने वाली फलित घटनाओं को लेकर किसी भी तरह से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है | सूतक और खान-पान तथा गर्भवती महिलाओं को लेकर भी किसी तरह का कोई भेद अथवा दोष विचारणीय नहीं होगा | इसदिन खगोलीय घटना के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करके वहीं से वापस निकल जाएंगे जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा का बिम्ब केवल धुंधला दिखाई देगा काला नहीं होगा, न ही किसी तरह का ग्रास होगा | इसलिए इसदिन पूर्णिमा तिथि से सम्बंधित किये जाने वाले जप-तप, पूजा पाठ, श्री सत्यनारायण कथा, तीर्थ क्षेत्रों में तथा गंगा, यमुना नर्वदा आदि पवित्र नदियों में स्नान दान-पुण्य का महत्व यथावत रहेगा | अतः आप जो भी कार्य करें उसे पूर्णिमा तिथि समझकर करें, चन्द्रग्रहण समझकर नहीं | इस चंद्रमालिन्य संयोग को भारतवर्ष के साथ-साथ अफ्रीका दक्षिण, पश्चिम अमेरिका, यूरोप, एशिया, ब्राजील, प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर आदि के क्षेत्रों से भी देखा जा सकता है |

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