शनिवार, 9 नवंबर 2019

शनि के राशि परिवर्तन से किन राशियों को साढ़ेसाती और ढैय्या से मिलेगा छुटकारा- पं जयगोविंद शास्त्री 
15 नवंबर 2011 (2हजार 9सौ 90दिन) शनि के तुला राशि में प्रवेश के साथ ही वृश्चिक राशि की साढ़ेसाती 24 जनवरी की रात्रि को शनिदेव के मकर राशि 
में प्रवेश के साथ ही समाप्त हो रही है | सामान्यतः मार्गी और वक्री की यात्रा करते हुए शनिदेव एक राशि में 2700 दिन तक विचरण करते हैं किन्तु कई बार 
यह अवधि वक्री-मार्गी होते होते इसे भी पार कर जाती है | जैसे तुला राशि में शनि के प्रवेश के साथ ही बृश्चिक राशि पर शाढ़ेसाती आरंभ हुई थी जो अब 
2हजार 9सौ 90दिन बाद समाप्त हो रही है | 
किसी भी राशि पर जिसपर शनिदेव की शाढ़े साती आरंभ होने वाली हो उस राशि के किस अंग पर इनका विचरण होता है यदि आप इसे समझ कर उसकी 
के अनुसार निर्णय एवं उपाय करें तो शाढ़े साती एवं ढैया में इनके अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है | जैसे शाढ़े साती के आरंभ होते ही इनका प्रथम प्रभाव 
100 दिनों तक मनुष्य के मुख पर रहता है | जो बेहद कष्ट कारक होता है शनि के आरंभ का यह समय इतना पीड़ा देने वाला होता है कि व्यक्ति शनिदेव की 
साढ़ेसाती के नाम से घबराता है |
उसके पश्चात 400 दिनोंतक शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव प्राणियों के दाहिनी भुजा पर रहता है, जो सर्वथा विजयश्री दिलाता है | भारत के अधिकतर बड़े बड़े 
नेता साढ़ेसाती की इसी अवधि में सर्वोच्च शिखर तक पहुंचे हैं | इस अवधि के मध्य किए गए सभी संकल्प-कार्य पूर्णतया सफल रहते हैं |
उसके पश्चात 600 दिनों तक साढ़ेसाती का प्रभाव मनुष्य के चरणों में रहता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति देश-विदेश की यात्राएं ततः तीर्थ यात्राएं करता है |
समाज में प्रतिष्ठित लोगों से मेलजोल बढ़ता है और व्यापार एवं नौकरी आदि में अच्छी उन्नति तथा मकान-वाहन के सुख भोगता है |
तदुपरांत 500 दिनों तक शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मनुष्य के पेट पर रहता है, जो हर प्रकार से लाभदायक सिद्ध होता है स्वास्थ्य अच्छा रहता है और अनेकों
स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद मिलता है | साढ़ेसाती का यह समय व्यक्ति के कामयाबियों के लिए अति शुभ फलदाई रहता है |
पुनः 400 दिनों तक साढ़ेसाती का प्रभाव प्राणियों के बाईं भुजा पर रहता है, जो बेहद कष्टकारक रहता है साढेसाती की इस अवधि में व्यक्ति यह निर्णय लेने में 
विवश दिखाई देता है कि उसे करना क्या है. निर्णय लेने में कठिनाइयां तो होती ही हैं कहीं न कहीं वह निराशा और परेशान हो जाता है |
उसके बाद 300 दिनोंतक शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के मस्तक पर रहता है, जिसके फलस्वरूप प्राणियों के कार्य व्यापार में उन्नति सामाजिक प्रतिष्ठा 
एवं पद और गरिमा की वृद्धि होती है | इस अवधि में व्यक्ति जहां भी जाता है उसे कामयाबी और ही यश प्राप्त होता है | 
उसके उपरांत 200दिन तक शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मनुष्य के नेत्रों पर रहता है, जिस के शुभ प्रभाव के फलस्वरूप वह तीर्थ यात्रा, यज्ञ, जप-तप, पूजा-पाठ, 
दान पुण्य आदि सभी तरह के अच्छे कर्म करता है उसे घर परिवार में मांगलिक कार्यों से सुख मिलता है |
उसके उपरांत 200 दिन तक शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होता है, जब साढ़ेसाती उतरती है | इस अवधि में शनि की साढ़ेसाती जीवात्माओं के गुदा स्थान 
पर रहती है जिसके फलस्वरूप उसे अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है | साढ़ेसाती का यह कालखंड इस तरह से रहता है कि इस के मध्य आई परेशानियों
को व्यक्ति जीवनपर्यंत याद रखता है | 
वर्तमान समय में साढ़ेसाती का अंतिम 200 दिन की शाढ़े साती का कालखंड वृश्चिक राशि पर चल रहा है, अतः वृश्चिक राशि वालों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान 
रखना चाहिए | मान सम्मान के प्रति सजग रहना चाहिए और कोर्ट कचहरी के मामलों से परहेज करना चाहिए | 
अपने गोचर काल में जब शनिदेव किसी भी राशि पर गोचर करते हैं तो अपने पीछे की चौथी और आठवीं राशि पर अपनी ढैया का भी प्रभाव छोड़ते हैं इस कालखंड 
का फल प्राणियों के कर्मों के अनुसार ही मिलता है | यदि आपके कर्म अच्छे रहे तो आप मालामाल हो जायेगें इसीलिए इसे लघु कल्याणी ढैया भी कहते हैं | 
किन्तु अशुभ एवं पाप कर्मों में लिप्त रहने पर यह अवधि और भी कष्टकारी रहती है | इसमें व्यक्ति को अत्यधिक उतार-चढ़ाव, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और कार्य 
बाधाओं का सामना करना पड़ता है | उस अवधि के मध्य यदि शनि पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो इनकी ढैया की अशुभता में कमी आती है | 
वर्तमान समय में वृषभ एवं कन्या राशि के जातकों को शनि देव की अशुभ ढैया लोहे के पाए पर चल रही है | जिससे 24 जनवरी की रात्रि को शनिदेव के मकर राशि 
में प्रवेश के साथ ही ढैया से मुक्ति मिल जाएगी | 

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