रविवार, 13 नवंबर 2011

‎!! श्रद्धया दीयते यस्मात तत श्राद्धं-अर्थात जो श्रद्धा से दिया जाय वही श्राद्ध है !! जो भी जीवात्मा अपने पितरों को भक्ति सहित श्राद्ध-तर्पण करके उन्हें तृप्त करता है,वै पितृ गण प्रसन्न होकर श्राद्ध करने वाले अपने परिवार को अनेकों प्रक्रार की समृधि,आयु-आरोग्य,संतान, ख्याति एवं स्वर्गादि प्रदान करते हैं ! ये पितृ गण हमेशा ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले,शांत चित्त,पवित्रपरायण,प्रियवादी अपने भक्तों को सुख देनेवाले हैं !मनुष्य को अपनी शक्ति-सामर्थ्य के अनुसार श्राद्ध अवश्य करना चाहिए !!


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