कृष्ण, कृष्णेति कृष्णेति कलौ वक्ष्यति प्रत्यहं ! नित्यं यज्ञायुतं पुण्यं तीर्थ कोटि समुद्भवं !!
कृष्ण, कृष्णेति कृष्णेति नित्यं जपति यो जनः ! तस्य प्रीतिः कलौ नित्यं कृष्णस्योपरि वर्ध्यते !!
अर्थात - जो जीवात्मा कलियुग में नित्यप्रति "कृष्ण,कृष्ण, कृष्ण करेगा उसे प्रतिदिन
हज़ारों यज्ञों और करोडो तीर्थों का पुण्यफल प्राप्त होगा ! जो मनुष्य नित्य कृष्ण,
कृष्ण,कृष्ण, का जप करता है कलियुग में श्रीकृष्ण के ऊपर उसका निरंतर प्रेम
बढ़ता है !!
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