गुरुवार, 17 मई 2012


ईश्वर ने अपना महत्वपूर्ण ज्ञान मनुष्य को दे दिया किन्तु मनुष्य उससे संतुष्ट नहीं है !
इसका एक मात्र इलाज धर्म है जो अहंकार की परत चढ़े होने से आगे नहीं आपाता !
प्राणी अंहकार साहस व शौर्य दिखा सकता है तपस्या कर सकता है, भूखा रह सकता है,
राजनेता बन सकता है, अमीर भी बन सकता है, किन्तु वह धर्म का भक्त नहीं बन सकता !
इसलिए सबकुछ होते हुए भी वह अशांत रहता है, प्यासा रहता है इसी के चलते
वह अपना नैतिक पतन रोक नहीं पाता !!

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