सोमवार, 14 जनवरी 2013


शिवपद की प्राप्ति ही साध्य है ! उनकी सेवा ही साधन है तथा उनके
प्रसाद से जो नित्य-नैमित्तिक आदि फलों की ओरसे निःस्पृह होता है
वही साधक है ! वेदोक्त कर्मका अनुष्ठान करके उसके महान फलको
भगवान शिवके चरणों में समर्पित करदेना ही परमेश्वरपद की
प्राप्ति है, वही मुक्ति है !

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