शुक्रवार, 20 सितंबर 2013


ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति, ग्रहाः राज्यं हरन्ति च !
अर्थात - ग्रह अनुकूल हों तो राज्य दे देतें हैं, और
प्रतिकूल होने पर तत्काल हरण भी कर लेते हैं !!
शास्त्र भी कहते हैं कि-
अहिंसकस्य दान्तस्य धर्मार्जित धनस्य च ! नित्यं च नियमस्थस्य सदा सानु ग्रहा ग्रहाः !!
अहिंसक, जितेन्द्रिय, नियम में स्थित और न्याय से धन अर्जित करने वाले मनुष्यों ग्रहों
की सदा कृपा बरसती रहती है !

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