सोमवार, 30 जून 2014


सृष्टि उस विराट चेतनाशक्ति की अभिव्यक्ति मात्र है ! धर्म उस चेतना
को उपलब्ध होने वाला विज्ञान है ! संन्यास और वैराग्य इसका आरम्भ
है तथा मुक्ति अंत ! यह जीव की अंतिम स्थिति है, 'शिवसंकल्पमस्तु'

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