मंगलवार, 17 मार्च 2015

'सूर्य का मीन राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास आरम्भ'
भगवान सूर्य 14 मार्च की मध्यरात्रि पश्च्यात 04 बजकर 18 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं | इस राशि पर सूर्य 14 अप्रैल दोपहर 01 बजकर 45 मिनट
तक रहेंगें | इनके मीन राशि में पहुचते ही उग्र 'खरमास' आरम्भ हो जाएगा, जिसके परिणाम स्वरुप शादी-विवाह और अन्य सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग
जाएगा | सूर्य को सृष्टि की आत्मा कहा गया है जीव की उत्पत्ति में भी इनका अहम योगदान रहता है, शास्त्र कहते हैं कि 'सूर्य रश्मितो जीवोऽभि जायते' अर्थात
सूर्य की किरणों से ही जीव की उत्पत्ति होती है | इस यात्रा के समय सूर्यदेव के साथ विष्णु और विश्वकर्मा दो देव, जमदग्नि और विश्वामित्र दो ऋषि, काद्रवेय और
कम्बलाश्वतर दो नाग, सूर्यवर्चा और धृतराष्ट नामक दो गन्धर्व साथ चलेंगें | अपनी सुंदरता से बड़े बड़े योगियों-ऋषियों का मन हरण करलेने वाली तिलोत्तमा और
रम्भा नाम की दो अप्सरायें भी सूर्य की यात्रा में मनोरंजन हेतु साथ चलेंगी | साथ ही ऋतजित और सत्यजित दो महाबलवान सारथी तथा ब्रह्मोपेत और यज्ञोपेत
नामक दो राक्षस भी सेवा हेतु साथ-साथ रहेंगे |ये सभी देव-दानव अपने अतिशय तेज के प्रभाव से सूर्य को और भी तेजवान बनाते हैं | चारों वेद और ऋषिगण अपने
बनाए गये वाक्यों से सूर्य की स्तुति करते हुए साथ चलेंगें | इस प्रक्रार अपने रथ पर चलते हुए सूर्य सातो द्वीपों और सातों समुद्रों समेत सृष्टि का भ्रमण करते हुए
दिन-रात्रि का निर्माण करते हैं | आदिकाल से सूर्य सभी बारह राशियों के स्वामी थे ! बाद में इन्होंने एक राशि का अधिपति चंद्रमा को और मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और
शनि को दो दो राशियों का अधिपति बना दिया ! सभी राशियों की स्वामी सिंह राशि के अधिपति स्वयं रहे | इनकी आराधना अथवा जल का अर्घ्य देने से जातकों
की जन्मकुंडलियों के सूर्यजनित दोष नष्ट हो जाते हैं | जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में सूर्य नीच राशिगत हों, बाल्या अथवा बृद्धा अवस्था में हों ,या जिनका जन्म
अमावस्या या संक्रांतिकाल में हुआ हो, जिनकी जन्मकुंडलियों में अधिकतर ग्रह कमजोर, नीच, शत्रुक्षेत्री हों जो मारकेश और शनि की शाढ़ेसाती से ग्रसित हों, वै सभी
जातक भगवान सूर्य का षडाक्षर मंत्र 'ॐ नमः खखोल्काय' का जप करके सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं | सूर्य में पूर्व जन्मों के सभी पापों का शमन करने की
शक्ति है अतः इनका पूर्व के जन्मों में किया गया पापनाशक मंत्र 'ॐ सूर्यदेव महाभाग ! त्र्योक्य तिमिरापह | मम पूर्वकृतं पापं क्षम्यतां परमेश्वरः || पढ़ते हुए प्रतिदिन
प्रातःकाल लाल सूर्य के समय सूर्य नमस्कार करने और अर्घ्य देने से आयु, विद्या-बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है ! पं जयगोविन्द शास्त्री

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