मंगलवार, 8 मार्च 2016

सूर्यग्रहण 09 मार्च को
आगामी फाल्गुन अमावस्या बुधवार 09 मार्च को लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में खण्डग्रास एवं ग्रस्तोदय खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा |
यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिणकोरिया, जापान, सिंगापुर एवं आस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा | भारत के उत्तर तथा उत्तर पश्चिमी भागों में ग्रहण दिखाई नहीं देगा अतः इन स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित दोष का विचार नहीं किया जायेगा इस स्थानों पर धार्मिक एवं मांगलिक कृत्य यथावत मनाये जायेंगें | ग्रहण का आरम्भ प्रातः 04 बजकर 49 मिनट पर होगा जिसके परिणाम स्वरूप इसका सूतककाल 12 घंटे पूर्व 08 मार्च की शायं 04 बजकर 49 मिनट से आरम्भ हो जाएगा | प्रातः 05बजकर 47 मिनट पर ही खग्रास प्रारम्भ हो जायेगा 07 बजकर 27 मिनट पर पूर्णग्रास दिखाई देगा | 09 बजकर 08 मिनट पर खग्रास समाप्त हो जाएगा |10 बजकर 05 मिनट पर पूरी तरह सूर्यदेव ग्रहण मुक्त हो जायेंगे | इस प्रकार ग्रहण की पूर्ण अवधि 05 घंटे 16मिनट की रहेगी | यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र एवं कुंभ राशि में घटित हो रहा है अतः इस राशि वाले जातकों को ग्रहण ॐ नमः शिवाय का जप अधिक से अधिक करना चाहिए | ग्रहण साध्य योग में पड रहा है इसलिए साधू-संतो एवं सन्मार्गियों के लिए अशुभ रहने वाला है | मेष, कर्क, बृश्चिक, धनु, राशि वालों के लिए ग्रहण का स्वास्थ्य, आर्थिक एवं व्यापारिक दृष्टि से शुभ रहेगा | तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को अधिक व्यय के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा | बृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, राशि वालों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार से सम्बंधित चिंताएं बढ़ायेगा | विद्यार्थी वर्ग को परीक्षा अथवा किसी भी प्रतियोगिता के भाग लेते समय गणेश एवं सरस्वती माँ का स्मरण करना चाहिए | इस ग्रहण के दुष्प्रभाव स्वरूप प्राणियों की जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर हो सकती है अतः इससे बचने के लिए ॐ नमोऽ भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा | मंत्र का जप करना श्रेयष्कर रहेगा | गर्भवती महिलायें ग्रहण देखने से बचें अन्यथा जन्म लेने वाले जीव के क्रमिक विकास में बाधा आ सकती है | किसी भी ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती के उदरभाग में गाय का गोबर और तुलसी का लेप लगायें | ग्रहण के दौरान गर्भवती माताएँ-बहने पृथ्वी पर न लेटें और न ही किसी वस्तु को काटने के लिए कैंची एवं चाकू का प्रयोग करें | ग्रहण समाप्ति के पश्च्यात स्नान करके यथा शक्ति दान पुण्य करें | पं जयगोविन्द शास्त्री 

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