रविवार, 13 नवंबर 2011


श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पाद सेवनम ! अर्चनं वन्दनं दास्यंसख्यमात्म निवेदनम"
सतयुग में भक्त शिरोमणि प्रहलाद ने नवधा भक्ति का प्रतिपादन इस प्रकार किया है !श्रवण,कीर्तन, स्मरण, पादसेवन,अर्चन, वंदन,दास्य,सख्य, और आत्मनिवेदनम भक्ति मार्ग के ये नौ सोपान हैं ! भक्ति मार्ग के इस चरम सोपान को प्राप्त करलेने के बाद प्राणी भक्त प्रहलाद,भक्त हनुमान, परम भक्तिन शबरी,भक्त और भक्त सूरदास जैसा बन जाता है,जिसके लिए स्वयं परमात्मा भी चिन्तनशील रहते हैं !

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