
यथा बाणप्रहाराणां वारणं कवचं स्मृतं ! तथा देवोपघातानां शान्तिर्भवति वारणं !!
अहिंसकस्य दान्तस्य धर्मार्जित धनस्य च ! नित्यं च नियमस्थस्य सदा सानु ग्रहा ग्रहाः !!
ग्रहाः पूज्या सदा रूद्र इच्छता विपुलं यशः !श्रीकामः शांतिकामो वा ग्रहयज्ञं समाचरेत !!
ब्रह्मा जी ने भगवान् रूद्र से कहा- हे देव ! जैसे शरीर में कवच पहन लेने से बाण नहीं लगते, वैसे ही ग्रह शान्ति करने से किसी प्रकार का कष्ट शेष नहीं रहपाता ! अहिंसक, जितेन्द्रिय, नियम में स्थित और न्याय से धन अर्जित करने वाले मनुष्यों पर सदा ग्रहों की कृपा बरसती रहती है ! यश ,धन, आरोग्य,उत्तम पद और संतानप्राप्ति तथा सभी तरह की परेशानियों से बचने के लिए ग्रहों की पूजा सदा करनी चाहिए ! क्यों कि ! ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति, ग्रहाः राज्यं हरन्ति च ! अर्थात -ग्रह अनुकूल हों तो राज्य दे देतें हैं,और प्रतिकूल होने पर तत्काल हरण भी कर लेते हैं !
यथा बाणप्रहाराणां वारणं कवचं स्मृतं ! तथा देवोपघातानां शान्तिर्भवति वारणं !!
अहिंसकस्य दान्तस्य धर्मार्जित धनस्य च ! नित्यं च नियमस्थस्य सदा सानु ग्रहा ग्रहाः !!
ग्रहाः पूज्या सदा रूद्र इच्छता विपुलं यशः !श्रीकामः शांतिकामो वा ग्रहयज्ञं समाचरेत !!
ब्रह्मा जी ने भगवान् रूद्र से कहा- हे देव ! जैसे शरीर में कवच पहन लेने से बाण नहीं लगते, वैसे ही ग्रह शान्ति करने से किसी प्रकार का कष्ट शेष नहीं रहपाता ! अहिंसक, जितेन्द्रिय, नियम में स्थित और न्याय से धन अर्जित करने वाले मनुष्यों पर सदा ग्रहों की कृपा बरसती रहती है ! यश ,धन, आरोग्य,उत्तम पद और संतानप्राप्ति तथा सभी तरह की परेशानियों से बचने के लिए ग्रहों की पूजा सदा करनी चाहिए ! क्यों कि ! ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति, ग्रहाः राज्यं हरन्ति च ! अर्थात -ग्रह अनुकूल हों तो राज्य दे देतें हैं,और प्रतिकूल होने पर तत्काल हरण भी कर लेते हैं !
अहिंसकस्य दान्तस्य धर्मार्जित धनस्य च ! नित्यं च नियमस्थस्य सदा सानु ग्रहा ग्रहाः !!
ग्रहाः पूज्या सदा रूद्र इच्छता विपुलं यशः !श्रीकामः शांतिकामो वा ग्रहयज्ञं समाचरेत !!
ब्रह्मा जी ने भगवान् रूद्र से कहा- हे देव ! जैसे शरीर में कवच पहन लेने से बाण नहीं लगते, वैसे ही ग्रह शान्ति करने से किसी प्रकार का कष्ट शेष नहीं रहपाता ! अहिंसक, जितेन्द्रिय, नियम में स्थित और न्याय से धन अर्जित करने वाले मनुष्यों पर सदा ग्रहों की कृपा बरसती रहती है ! यश ,धन, आरोग्य,उत्तम पद और संतानप्राप्ति तथा सभी तरह की परेशानियों से बचने के लिए ग्रहों की पूजा सदा करनी चाहिए ! क्यों कि ! ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति, ग्रहाः राज्यं हरन्ति च ! अर्थात -ग्रह अनुकूल हों तो राज्य दे देतें हैं,और प्रतिकूल होने पर तत्काल हरण भी कर लेते हैं !
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