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शनिवार, 30 जून 2012
शुक्रवार, 29 जून 2012
बुधवार, 20 जून 2012
वृक्षारोपण से सँवारे अपना भाग्य - अपनी सद्गति के लिए पीपल,
शोक और चिंता दूर करने के लिए अशोक,मोक्ष प्राप्ति के लिए वटवृक्ष,
कार्य सिद्धि के लिए आम और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कदम्ब का वृक्ष लगाना
चाहिए !खूबसूरत और उत्तम पति/पत्नी प्राप्ति के लिए पाकड़,
आरोग्य के लिए श्री वृक्ष, अधिक धन के लिए जामुन, स्त्री सुख के लिए
अनार, रोगनाश के लिए शमीवृक्ष और शत्रुओं के पराभव के लिए केशर
का वृक्ष लगाना चाहिए !
सोमवार, 18 जून 2012
त्वं दूर्वे अमृतनामासि सर्वदेवैस्तु वन्दिता !
वन्दिता दह तत्सर्वं दुरितं यन्मया कृतम !!
मित्रों - समुद्र मंथन के दौरान एक समय जब देव-दानव थकने लगे तो भगवान् विष्णु
ने मंदराचल पर्वत को अपनी जंघा पर रखकर समुद्र मंथन करने लगे उस मंदराचल
पर्वत के घर्षण से जो रोम टूट कर समुद्र में गिरे थे वही जब किनारे लगे तो दूब
के रूप में परिणित होगये ! अमृत निकलने के बाद अमृत कलश को सर्व प्रथम इसी
दूब पर रखागया था जिसके फलस्वरूप यह दूब भी अम्रत तुल्य होकर अमर हो गयी !
यह दूब-घास विष्णु का ही रोम है अतः सभी देवताओं में पूजित हुई और अग्र पूजा के
अधिकारी गणेश को अति प्रिय हुईं तभी से पूजा में दूर्वा का प्रयोग अनिवार्य होगया !
आयुर्वेद में इसे अति बलिष्ट तथा मेधा शक्ति के लिए उत्तम औषधि बताया गया है !!
रविवार, 10 जून 2012
गुरुवार, 7 जून 2012
अश्वत्थाय वरेण्याय सर्व ऐश्वर्य दायिने !
अनंत शिव रूपाय वृक्ष राजाय ते नमः !!
नेत्रस्पन्दादिजं दुखं दुस्स्वप्नम दुर्विचिन्तनम !
शक्तानां च समुद्योगम अश्वस्थ त्वं क्षमस्व मे !!
मित्रों प्रणाम - अनंत शिव स्वरुप और ऐश्वर्य देने वाले वृक्षों के राजा पीपल
को स्पर्श करते हुए यह मंत्र पढ़ने से नेत्र जन्य दोष, निद्रा की अवधि मे देखे
गए बुरे स्वप्न और अंतर्मन मे चल रहे बुरे विचार दोष हीन हो जाते हैं !!
शनिवार, 2 जून 2012
प्राणायाम से शारीरिक दोष, धारणा से पूर्व जन्म के अर्जित तथा वर्तमान
तक के सभी पाप, प्रत्याहार से संसर्ग जनित दोष एवं ध्यान से जविक दोष
नष्ट हो जाते हैं ! जैसे आग के ताप रखने से धातुओं के दोष दग्ध हो जाते
हैं उसी प्रक्रार प्राणायाम के द्वारा साधक के इन्द्रियजनित दोष नष्ट हो
जातेहैं ! अतः प्रतिदिन नियम पूर्वक प्राणायाम करके ग्रहदोशों से भी
मुक्ति पाई जा सकती है !!
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