बुधवार, 3 जनवरी 2018

मकर राशि- भो, जा, जी, जू, जे, जो, खा, खी, खू, खे, खो, गा, गी |(दशवीं राशि)2018
इस राशि वालों के लिए ग्रह-गोचर आय के अनेक साधन उपलब्ध करायेंगे, वर्ष आरम्भ से ही राशिस्वामी शनिदेव का स्वयं की राशि पर शाढ़ेसाती
का चलना सकारात्मक परिणाम दिलायेगा | विदेश यात्राओं, विदेशी कंपनियों अथवा आयात-निर्यात का व्यापार करने वालों के लिए साल बेहतरीन
लाभ देगा द्वादश भाव में सूर्य, शुक्र और शनि की युति विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर खर्च तो कराएगी साथ ही आँख से सम्बंधित बीमारी भी दे
सकती है इसलिए स्वास्थ्य के प्रति भी सजग रहने की ज़रूरत है | गुरु और मंगल की दशम कर्मभाव में युति मान-सामान पद एवं गरिमा की
वृद्धि करायेगी केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्रमुख प्रतिष्ठानों में आपकी मुख्य भूमिका रहेगी आपके द्वारा किये गए कार्य तथा लिए गए निर्णय
सराहनीय रहेंगे | नये कार्य-व्यापार आरम्भ करने वालों, अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वालों, विद्यार्थियों अथवा शिक्षा-प्रतियोगिता में बैठने वालों के
लिए कामयाबी की दृष्टि से वर्ष किसी वरदान से कम नहीं है अतः अपने ज्ञान और ऊर्जाशक्ति का भरपूर उपयोग करेंगे तो वर्षांत तक आपकी
सफलता का ग्राफ ८० प्रतिशत रहेगा | शुभअंक ८ है वर्ष के किसी भी माह की १७ और २६ तारीखें भी अधिक सफलता दायक रहेंगी |

शुभदिन- शनिवार, बुधवार तथा शुक्रवार | शुभरंग क्रीम, फिरोजी, हरा, नीला, आसमानी, जामुनी | शुभरत्न- हीरा और नीलम |
स्वास्थ्य- श्याटिका, जोड़ों-घुटनों में दर्द, नेत्रविकार, मधुमेह और स्नायुविक बीमारियों से बचें |
करियर- शिक्षण, प्रशासन, जमीन-जायदाद, परिवहन विभाग, सेना, पेट्रोलियम विभाग, कृषि सम्बंधी विभागों स्टील, आयल, गैस, सीमेंट से सम्बंधित
सेक्टर्स में नौकरी अथवा व्यापार हेतु प्रयास करना सफलता देगा |
जब आप मुस्कराउठेंगे- मई-जून में ग्रह-गोचर आपकी कामयाबियों को बुलंदी पर ले जायेंगे, इस अवधि मध्य मिलने वाली सफलताएँ और सामाजिक
प्रतिष्ठा देख आप मुस्कराने पर विवश हो जायेंगे |
जनवरी- रुकेहुए कार्य बनेंगे, आर्थिक मजबूती और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी, शासनसत्ता के उच्च पदाधिकारी आपकी मदद करेंगें |
फरवरी- अधिक कार्य व्यस्तता से थकान, विवाह सम्बन्धी वार्ता सफल रहेगी, शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता नौकरी में उन्नति |
मार्च- आय के अनेक साधन बनेंगे, मकान-वाहन के क्रय का योग, अपनी योजनायें गुप्त रखें, भौतिक वस्तुओं का सुख मिलेगा |
अप्रैल- किसी समृद्धशाली व्यक्ति अथवा संस्थान से लाभ, विदेश यात्रा के योग और शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों में धन व्यय |
मई- पारिवारिक मतभेद से मानसिक पीड़ा, माता-पिता के स्वास्थय के प्रति सजग रहें, सत्तासीन अधिकारियों से सहयोग मिलेगा |
जून- आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किये गए कार्य सराहनीय, झगडे विवाद से बचें, नए कार्य-व्यापार एवं अनुबंध के योग |
जुलाई- मांगलिक कार्यों से परिवार में खुशी, व्यापार में अधिक उतार-चढ़ाव रहेगा, यात्रा देशाटन का आनंद और नौकरी में उन्नति |
अगस्त- आय में वृद्धि और आर्थिक मजबूती, मकान-वाहन का सुख, नए प्रेमप्रसंग का आरम्भ एवं विवाह सम्बन्धी वार्ता सफल | 
सितंबर- धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में व्यस्ता-व्यय, आर्थिक बचत के लिए कठिन संघर्ष, जिद और आवेश पर नियंत्रण रखें |
अक्टूबर- दाम्पत्य जीवन में कटुता न आने दें, प्रेमविवाह-रोमांस के लिए समय अनुकूल किन्तु, अग्नि विष एवं दुर्घटना से बचें |
नवंबर- परिवार में विवाद से मानसिक कष्ट, व्यापार में विवाद-बंटवारे का योग, कोर्ट-कचहरी के मामलें आपस में ही सुलझाएं |
दिसंबर- बिषम परिस्थितियों से मुक्ति, भौतिकसुखों पर अधिक वयय, पौरुषका पूर्ण उपयोग करेंगे तो कामयाबियाँ कदम चूमेंगी |
उपाय- गन्ने के रस से श्रीरुद्राभिषेक, शनि स्तोत्र अथवा शनि कवच का पाठ नित्यप्रति करना ही ग्रह दोषों से मुक्ति दिलायेगा | पं जयगोविंद शास्त्री
कुंभ राशि- गू, गे, गो, सा, सी, सु, से, सो, दा | (ग्यारहवीं राशि) 2018
वर्ष आरम्भ के समय से ही सात ग्रह आपके पक्ष में गोचर कर रहे हैं, जिनके प्रभावस्वरूप आपकी हर सोची समझी रणनीतियाँ कारगर सिद्ध होंगी |
शत्रुओं पर विजय तथा कोर्ट-कचहरी में निर्णय आपके पक्ष में जाने के योग बनेंगे | सामाजिक पदप्रतिष्ठा में वृद्धि और मांगलिक कार्यों के सुअवसर
आयेंगें, जहाँ एक ओर शुक्र, शनि एवं सूर्य का एक साथ आयभाव में गोचर करना धनवृद्धि एवं नए अनुबंध पर हस्ताक्षर कराएगा वहीँ वायापारी वर्ग
के लिए कार्य-व्यापार में मजबूती प्रदान करेगा | आयात-निर्यात का व्यापार करने वालों के लिए वर्ष बेहतरीन सफलता देगा | बृहस्पति का मंगल के साथ
भाग्यभाव में गोचर करना भी कुम्भ राशि वालों के लिए वरदान की तरह है विशेष करके विद्यार्थी वर्ग या प्रतियोगिता में बैठने वालों की सफलता
की संभावना अधिक रहेगी | अक्तूबर से गुरु का कर्मभाव में जाना नौकरी में पदोन्नति के साथ-साथ स्थान परिवर्तन के योग भी बनाएगा | वर्ष के
आरम्भ से ही बहुत सारी संभावनायें आपके पक्ष में हैं इसलिए सफलता का ग्राफ 80 प्रतिशत तक रहेगा |

शुभअंक- 8 है वर्ष के किसी भी माह की 17 और 26 तारीखें अधिक सफलता दायक रहेगीं | शुभदिन- बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार |
शुभरंग- हरा, नीला, काला, फिरोजी, जामुनिया | शुभरत्न- नीलम, हीरा, ओपल, लाजवर्त, पन्ना और फिरोजा |
स्वास्थ्य- एसिडिटी, जोड़ों में दर्द, हृदय, नेत्र रोग मिर्गी और विष से बचें |

करियर- शिक्षण कार्य, होटेल्स, पेट्रोल, गैस, कोयला, केमिकल्स, ट्रांसपोर्ट, रियल स्टेट, सीमेंट और शराब बनाने वाली कंपनियों अथवा इन के
सेक्टर्स सर्विस हेतु आवेदन करें |

जब आप मुस्करा उठेंगे- नवंबर-दिसंबर बन रहे और भी शुभ ग्रह-गोचर का प्रभाव आपके घर में मांगलिक कार्य और परिवार में नए मेहमान के
आगमन का सुयोग बनायेंगे, इस अवधि में इस अवधि में बढ़ते सामाजिक कद और मिलते भौतिक सुख आपको मुस्कराने पर विवश कर देंगे |
जनवरी- बेहतरीन कामयाबियों वाला माह, आपकी योजनायें सफल रहेगीं, व्यापार अथवा नौकरी में उन्नत्ति के योग |
फरवरी- मकान-वाहन का सुख आय में वृद्धि, मित्रों एवं ईष्ट जनो से सहायता, मुकदमों में विजय और कार्य सिद्धि |
मार्च- कुछ अशुभ समाचारों से मानसिक पीड़ा, लिए गये पारिवारिक निर्णय सराहनीय, अपनी ऊर्जाशक्ति का प्रयोग करें |
अप्रैल- अपने जिद-क्रोध पर नियंत्रण रखें, ग्रह-गोचर धैर्य की परीक्षा लेंगे, सरकारी दफ्तरों में हुए कार्य आपके पक्ष में |
मई- वाणी का प्रयोग कुशलता से करें, धनाढ्य एवं समृद्धशाली लोग मददगार साबित होंगे, भौतिक सुख पर अधिक व्यय |
जून- भूमि-भवन वाहन का सुख, शिक्षा-प्रतियोगिता में सफलता नौकरी में पदोन्नति, नए अनुबंध पर हस्ताक्षर के योग |
जुलाई- संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग, विवाह सम्बन्धी वार्ता सफल रहेगी, मित्रों सहयोगियों से लाभ विदेश यात्रा |
अगस्त- व्यर्थ परेशानियों और पारिवारिक उलझनों से मानसिक पीड़ा रहेगी, मांगलिक कार्यों एवं समाज सेवा पर व्यय |
सितंबर- किसी भी तरह की शिक्षा प्रतियोंगीता में कामयाबी, किन्तु स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें, मुकदमो में विजयश्री |
अक्टूबर- भाग्यवृद्धि समृद्धिशाली लोंगो का सानिध्य एवं उनसे लाभ, अपनी कार्य योजनायें गुप्त रखें, विलासिता अपव्यय |
नवंबर- ग्रह गोचर का सुप्रभाव कामयाबियों का दौर जारी रखने में मदद करेगा, राजनैतिक एवं सामाजिक कद बढ़ेगा |
दिसंबर- मांगलिक कार्यों का सुअवसर मकान-वाहन का क्रय, नौकरी में पदोंन्नति व्यापार में उन्नति एवं तीर्थयात्रा के योग |
उपाय- शनि स्तोत्र एवं कवच का पाठ अथवा उनका मंत्र जाप करना सभी शनि जनित दोषों से मुक्ति दिलाएगा पंचामृत से भगवान् रूद्र का
अभिषेक करना सभी कष्टों से मुक्ति दिलाएगा | पं जयगोविंद शास्त्री

मीन राशि- दी, दू, थ, झ, यँ, दे, दो, चा, ची | (बारहवीं राशि)2018
वर्षांत अक्तूबर तक राशि स्वामी बृहस्पति मंगल के साथ अष्टम मृत्युभाव में रहेंगे, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष कई कड़वे अनुभव करायेगा |
यह योग स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंता, आर्थिक तंगी, व्यर्थ भागदौड़, दाम्पत्य जीवन में कटुता तथा प्रेम सम्बन्धों में वियोग का सामना करने
जैसे हालात उत्पन्न करेगा, ऐसे में आपको अधिकाधिक धैर्य की आवश्यकता है | सूर्य, शनि एवं शुक्र की दशमभाव में युति कार्य-व्यापर के
लिए नई चुनौतियाँ पेश करेगी मंदी और क़र्ज़ तनाव दे सकते हैं किन्तु अक्तूबर से गुरु के भाग्यभाव में जाने से सभी बिगड़े कार्य बनेंगे |
व्यापारी वर्ग नए कार्य-व्यापार का आरम्भ कर सकते हैं | विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगिता में बैठने वालों के लिए वर्ष कई अप्रत्याशित परिणाम
देगा रुके कार्य बनेंगे, तथा परिणाम आपके पक्ष में आयेगा | माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति हमेशा चिंतनशील रहें | कई कटु अनुभवों और
उतार-चढ़ाव के साथ आपकी सफलता का ग्राफ 70 प्रतिशत तक रहेगा |

शुभअंक- 3 है वर्ष के किसी भी माह की 12 और 21 तारीखें बेहतरीन सफलता दायक रहेंगी |
शुभदिन- रविवार, मंगलवार, गुरुवार | शुभरंग- पीला, लाल, गेरुआ, श्वेत |
स्वास्थ्य- लीवर, पेनक्रियाज, किडनी, स्लिपडिस्क, गैस और पैरों में चोट लगने से बचें |
करियर- शिक्षण, प्रबंधन, सम्पादन, प्रकाशन, बैंकिंग, एकाउंटिंग |
जब आप मुस्करा उठेंगे- मई-जून में ग्रह-गोचर कामयाबी के बेहतरीन योग बना रहे हैं, परिणामस्वरूप आपकी कार्य योजनायें सफल रहेंगी |
कार्य-व्यापार तथा सामाजिक दायरा बढेगा अतः, मित्रों एवं सम्बन्धियों से मिलने वाले शुभ समाचार मुस्कराने पर विवश कर देंगे |

जनवरी- कुछ विषम परिस्थितियाँ मानसिक पीड़ा देंगी किन्तु नौकरी में पदोन्नति, शिक्षा-प्रतियोगिता में कामयाबी |
फ़रवरी- कार्य व्यापार में उन्नति, नए अनुबंध प्राप्ति के योग एवं आकस्मिक धन प्राप्ति, मकान-वाहन का क्रय |
मार्च- नेत्र विकार एवं ह्रदय सम्बन्धी रोगों से बचें, नए प्रेम प्रसंग का आरम्भ, विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर व्यय |
अप्रैल- ऊर्जाशक्ति में वृद्धि किन्तु शारीरिक पीड़ा और हड्डी से सम्बंधित रोंगों से बचें, संतान प्राप्ति-प्रादुर्भाव के योग |
मई- कामयाबी की दृष्टि से बेहतरीन समय, रणनीतियाँ गुप्त रखें, साहस-पराक्रम वृद्धि तथा मुकदमों में विजयश्री |
जून- आर्थिकपक्ष मजबूत, रुका हुआ धन आयेगा, प्रतीक्षित परिणाम आपके लिए अनुकूल रहेंगे, विदेश यात्रा के योग |
जुलाई- लेन-देन के मामलों में अधिक विश्वास न करें, आर्थिक तंगी से सावधान रहें विलासिता पर अपव्यय से बचें |
अगस्त- शत्रुओं पर विजय किन्तु स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें, पारिवारिक उलझने रहेंगी किन्तु प्रेम विवाह के योग |
सितंबर- रोमांस-प्रेमविवाह के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल, माता-पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें, प्रतियोगिता में सफलता |
अक्टूबर- गोचर ग्रहों में परिवर्तन से बेहतरीन सुधार आयेगा, मान सम्मान की वृद्धि और उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध |
नवंबर- नए अनुबंध पर हस्ताक्षर के बेहतरीन अवसर, विवाह सम्बन्धी वार्ता सफल और संतान प्राप्ति प्रादुर्भाव के योग |
दिसंबर- कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय, परिवार में मांगलिक कार्यों से प्रसन्नता, विद्यार्थितियों के समय अनुकूल |
उपाय---------अहिंसा, वृक्षारोपण, बृहस्पति का मंत्र जाप एवं व्रत और पुस्तक दान करने से समय सर्वथा अनुकूल रहेगा | पं जयगोविंद शास्त्री

शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

अकारो ब्रह्म च प्रोक्तं यकारो विष्णुरुच्यते | धकारो रुद्ररुपश्च अयोध्यानाम राजते |
अर्थात 'अ' कार ब्रह्मा है, 'य' कार विष्णु है, तथा 'ध' कार रूद्र का स्वरूप है | भगवान् विष्णु के चक्रसुदर्शन पर विराजमान आदिपुरी 'अयोध्या' परमपिता ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव इन तीनों का समन्वित स्वरूप ही है..भगवान् राम कहते हैं कि,
जद्यपि सब बैकुंठ बखाना | बेद पुरान बिदित जग जाना || 
अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोउ | यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ ||
जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि | उत्तर दिशि बह सरजू पावनि || 
जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा |मम समीप नर पावहि बासा ||

मंगलवार, 18 जुलाई 2017

मित्रों, आज दैनिक हिन्दुस्तान के धर्मक्षेत्रे पेज पर मेरा आलेख- 
तीनों लोकों में प्रतिष्ठित हैं महाकाल पं जयगोविन्द शास्त्री 
परमेश्वर श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के 'दर्शनाभिषेक' हेतु पवित्र श्रावणमाह आरम्भ हो चुका है, वर्षों बाद श्रावणमाह सम्पुट सोमवारों वाला है जिसके आरम्भ में भी सोमवार और समापन में भी सोमवार ही है अतः प्राणियों के लिए श्रीमहाकालेश्वर का स्तवन कर उनकी कृपा प्राप्ति का ये संयोग दिव्य है जो दैहिक, दैविक और भौतिक जैसे महादुखों से मुक्ति दिलाने वाला है |वर्तमान श्रीश्वेतवाराहकल्प में श्रीमहाकाल तीनों लोकों में त्रयज्योतिर्लिंग के रूप विद्यमान हैं जिनमें 'आकाशे तारकं लिंगम, पाताले हाटकेश्वरम | भूलोके च महाकाल लिंगत्रय नमोस्तुते || अर्थात- देवताओं की आराधना के लिए आकाश में तारक ज्योतिर्लिंग, महादैत्यों की आराधना के पाताल में हाटकेश्वर तथा भूलोक वासियों की समस्त मनोकानाएं पूर्ण करने के लिए उज्जयिनी में श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विद्यमान हैं | शिवपुराण के अनुसार श्रीमहाकाल की परमशक्ति माँ श्रीमहाकाली हैं जिनका महाविद्याओं सर्वोच्च स्थान है, सृष्टि संहार में ये ही महाकाल की सहायक रहती हैं | कहा गया है कि उसका काल भी क्या करे जो भक्त हो महाकाल का | महाकाल सूक्षतमकाल के भी नियंत्रक हैं जीवन में काल की महत्ता सर्वोपरि है जिसने प्राणी काल को साध लिया काल उसका सहायक हो गया जिसने काल का तिरस्कार किया वह महाकाल की ज्वालाग्नि में भष्म हो गया | श्रीमहाकालेश्वर मृत्युलोक के अधिपति हैं तांत्रिक परम्परा में प्रसिद्ध दक्षिणमुखी पूजा का महत्व बारह ज्योतिर्लिंगों में केवल श्रीमहाकालेश्वर को ही प्राप्त है इसीलिए यहाँ वाममार्गी और दक्षिण मार्गी दोनों प्रकार के भक्तों की भारी भीड़ रहती है इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वप्न में भी किसी प्रकार का संकट नहीं आ सकता, जो भी सच्चे मन से श्रीमहाकालेश्वर की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं | अवन्तीका पूरी (उज्जैन) में इनका प्राकट्य अपने 'रुद्राभिषेकीब्राहमण' भक्तों की 'दूषण' नामक महादैत्य से रक्षा के लिए हुआ उन्हीं ब्राह्मणों के स्तवन से प्रसन्न होकर काल ने दैत्य सेना का हुंकार मात्र से संहार कर दिया और भक्तों के दुःख दूर करने के लिए यहीं महाकाल के रूप में प्रतिष्ठित हुए | इनका अमोघमंत्र ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय' का प्रातः काल जप करके प्राणी यात्रा पर जाय तो कार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं और प्राणी सकुशल घर वापस आता है |

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

मित्रों ॐनमः शिवायॐ मेरे परमेश्वर श्रीमहाकाल (उज्जैन) ने पवित्र श्रावण के आरम्भ होते ही कल भष्मआरती में वैदिकमंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन का अद्भुत सुख प्राप्ति का सुअवसर दिया..

रविवार, 9 जुलाई 2017

गुरु पूर्णिमापर्व' शिष्य को आत्मवत कराने का दिन, सृष्टि के आरम्भ से ही शुरू हुई गुरु-शिष्य की परंपरा..
वर्तमान श्रीश्वेतवाराह कल्प में ब्रह्म के विग्रह रूप श्रीपरमेश्वर ने नारायण का 'विष्णु' रूप में नामकरण किया और उन्हें 'ॐ'कार रूपी महामंत्र का जप करने की आज्ञा दी | श्रीविष्णु हज़ारों वर्षतक घोर तपस्या किये, तत्पश्च्यात परमेश्वर प्रसन्न होकर उन्हें सृष्टि की उत्पत्ति, पालन एवं संहार करने पूर्णता प्रदान की | श्रीविष्णु के कमलनाल से ब्रह्मा की उतपत्ति हुई, ब्रह्मा का अन्तःकरण भी मोहरूपी अज्ञानता के कारण भटकने लगा और उनके मन में परमेश्वर की सत्ता के प्रति तरह-तरह आशंकाएं जन्म लेने लगीं | वे उन परमेश्वर की सत्ता को अपनी ही सत्ता समझने लगे | ब्रह्मा को अज्ञानता से मुक्त करने के लिए परमेश्वर ने अपने हृदय से योगियों के परमसूक्ष्मतत्व श्रीरूद्र को प्रकट किया जिन्होंने ब्रह्मा के अंतर्मन को विशुद्ध करने के लिए 'ॐ नमः शियाय' मंत्र का जप करने की आज्ञा दी | जिसके फलस्वरूप ब्रह्मा का मोहरूपी अन्धकार दूर हुआ तभी से गुरु शिष्य परम्परा आरम्भ हुई | उसके बाद ब्रह्मा के पुत्र गुरु 'वशिष्ट' सूर्यवंश के गुरु हुए, अग्नि के अंश बृहस्पति देवताओं के गुरु हुए ! भृगु पुत्र शुक्राचार्य दैत्यों के और महर्षि गर्ग यदुवंशियों के गुरु हुए | अतः प्रत्येक युग में गुरु की सत्ता परमब्रह्म की तरह कण-कणमें व्याप्त रही है ! गुरु विहीन संसार अज्ञानता की कालरात्रि मात्र ही है ! गुरु-शिष्य का सम्बन्ध केवल परमात्मा की प्राप्ति के लिए ही होता है गुरु की महिमा वास्तवमेँ शिष्य की दृष्टि से है, गुरुकी दृष्टि से नहीँ | एक गुरु की दृष्टि होती है, एक शिष्य की दृष्टि होती है और एक तीसरे आदमी की दृष्टि होती है ! गुरु की दृष्टि यह होती है कि मैँने कुछ नहीँ किया, प्रत्युत जो स्वतः-स्वाभाविक वास्तविक तत्व है, उसकी तरफ शिष्य की दृष्टि करा दी ! तात्पर्य यह कि मैँने उसी के स्वरुप का उसीको बोध कराया है, अपने पास से उसको कुछ दिया ही नहीँ | शिष्य की दृष्टि यह होती है कि गुरु ने मुझे सब कुछ दे दिया ! जो कुछ हुआ है, सब गुरु की कृपा से ही हुआ है ! तीसरे आदमी की दृष्टि यह होती है कि शिष्य की श्रद्धा से ही उसको ज्ञान हुआ है | किन्तु असली महिमा उस गुरु की ही है, जिसने शिष्य को परमात्मा से मिला दिया है | गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि ''गुरु बिन भवनिधि तरई न कोई | जो बिरंचि संकर सम होई || अर्थात- गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर जीव संसार सागर से मुक्त नहीं हो सकता चाहे वह ब्रह्मा और शंकर के समान ही क्यों न हो | शास्त्रों में 'गु' का अर्थ अंधकार या मूल अज्ञान, और 'रु' का अर्थ उसका निरोधक, 'प्रकाश' बताया गया है | गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन से निवारण कर देता है, अर्थात अंधकार से हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला 'गुरु' ही है | गुरु तथा देवता में समानता के लिए कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी | 'तमसो मा ज्योतिगर्मय' अंधकार की बजाय प्रकाश की ओर ले जाना ही गुरुता है |
गुरु स्तोत्रम्
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम्। 
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्। तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात्परब्रह्म: तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
स्थावरं जंगमं व्याप्तं यत्किंचित्सचराचरम्। तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
चिन्मयं व्यापियत्सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्। तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजित पदाम्बुज:। वेदान्ताम्बुजसूर्यो य: तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
चैतन्य: शाश्वत:शान्तो व्योमातीतो निरंजन:। बिन्दुनाद: कलातीत: तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
ज्ञानशक्तिसमारूढ: तत्त्वमालाविभूषित:। भुक्तिमुक्तिप्रदाता च तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
अनेकजन्मसंप्राप्त कर्मबन्धविदाहिने। आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
शोषणं भवसिन्धोश्च ज्ञापणं सारसंपद:। गुरो: पादोदकं सम्यक् तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तप:। तत्त्वज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
मन्नाथ: श्रीजगन्नाथ: मद्गुरु: श्रीजगद्गुरु:। मदात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
गुरुरादिरनादिश्च गुरु: परमदैवतम्। गुरो: परतरं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव॥ पं जयगोविन्द शास्त्री