शुक्रवार, 24 जून 2016

मानसिक विकारों और कुष्ट रोगों से मुक्ति दिलाती है, 'योगिनी एकादशी'
परमेश्वर श्री विष्णु ने मानवकल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों को मिलाकर कुल छबीस एकादशियों को प्रकट किया | कृष्ण पक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली इन एकादशियों के नाम और उनके गुणों के अनुसार ही उनका नामकरण भी किया | इनमें उत्पन्ना, मोक्षा, सफला, पुत्रदा,षट्तिला, जया, विजया, आमलकी, पापमोचनी, कामदा, वरूथिनी, मोहिनी, निर्जला, देवशयनी और देवप्रबोधिनी आदि हैं | सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य फल देने का सामर्थ्य हैं इनकी पूजा-आराधना करनेवालों को किसी और पूजा की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि, ये अपने भक्तों की सभी कामनाओं की पूर्ति कराकर उन्हें विष्णुलोक पहुचाती हैं | इनमे 'योगिनी' एकादशी तो प्राणियों को उनके सभी प्रकार के अपयश और चर्मरोगों से मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती है | पद्मपुराण के अनुसार 'योगिनी' एकादशी समस्त पातकों का नाश करने वाली संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए सनातन नौका के समान है |साधक को इसदिन व्रती रहकर भगवान विष्णु की मूर्ति को 'ॐ नमोऽभगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान आदि कराकर वस्त्र, चंदन, जनेऊ गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, ताम्बूल, नारियल आदि अर्पित करके कर्पूर से आरती उतारनी चाहिए | योगिनी एकादशी देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुदंर रूप,गुण और यश देने वाली है | इस एकादशी के संदर्भ में पद्मपुराण में एक कथा भी है जिसमे धर्मराज युधिष्ठिर के सवालों का जवाब देते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे नृपश्रेष्ठ ! अलकापुरी में राजाधिराज महान शिवभक्त कुबेर के यहाँ हेममाली नाम वाल यक्ष रहता था | उसका कार्य नित्यप्रति भगवान शंकर के पूजनार्थ मानसरोवर से फूल लाना था | एक दिन जब पुष्प लेकर आरहा था तो मार्ग से कामवासना एवं पत्नी 'विशालाक्षी' के मोह के कारण अपने घर चला गया और रतिक्रिया में लिप्त होने के कारण उसे शिव पूजापुष्प के ने पुष्प पहुचाने की बात याद नही रही | अधिक समय व्यतीत होनेपर कुबेर क्रोधातुर होकर उसकी खोज के लिए अन्य यक्षों को भेजा | यक्ष उसे घर से दरबार में लाये उसकी बात सुनकर क्रोधित कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का शाप दे दिया | शाप से कोढ़ी होकर हेम माली इधर-उधर भटकता हुआ एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ॠषि के आश्रम में जा पहुँचा और करुणभाव से अपनी व्यथा बताई | ॠषि ने अपने योगबल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया और उसके सत्यभाषण से प्रसन्न होकर योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी | हेममाली ने व्रत का आरम्भ किया और व्रत के प्रभाव से हेममाली का कोढ़ समाप्त हो गया और वह दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया | पं जयगोविन्द शास्त्री

रविवार, 8 मई 2016

अक्षयफल प्रदान करने वाली 'अक्षय तृतीया' 09 मई को- पं जयगोविन्द शास्त्री
माँ पार्वती द्वारा अक्षुणफल देने और श्रेष्ठतम् मुहूर्त के रूप में वरदान प्राप्त वैशाख शुक्ल तृतीया 09 मई सोमवार को है | सनातम धर्म का कोई भी कार्य जिसके लिए मुहूर्त न निकल रहा हो वो भी इस स्वयंसिद्ध मुहूर्त में किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त वैदिक एवं पौराणिक शास्त्रों ने चैत्रमाह के शुक्लपक्ष की रामनवमी, वैशाख शुक्लपक्ष की अक्षयतृतीया, आश्विन शुक्लपक्ष की विजयदशमी, कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थानी एकादशी और माघ शुक्लपक्ष की बसंत पंचमी को भी अमोघ पुण्यफलदाई मुहूर्तों में गणना की है | इसीदिन त्रेतायुग का आरम्भ, भगवान के परशुराम, नरनारायण एवं हयग्रीव अवतारों का प्रादुर्भाव हुआ | इन मुहूर्तों के मध्य किया गया कोई भी कार्य कभी भी निष्फल नहीं होता | अतः भूमिपूजन, नये व्यापार का शुभारम्भ, गृहप्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, जप-तप, पूजा-पाठ, एवं दान-पुण्य का फल अक्षय रहता है | इसीलिए हर प्राणी को इसदिन का पूर्ण सदुपयोग अच्छे कार्यों और समाज की भलाई के लिए किये जाने वाले कर्मों के लिए करना चाहिए | वाराहकल्प की इस तिथि को मानव कल्याण हेतु माँ पार्वती ने शक्ति संपन्न किया है | वे कहती हैं कि जो नारियां संसार के सभी प्रकार का सुख-वैभव चाहती हैं उन्हें अक्षयतृतीया का व्रत करना चाहिए | व्रत के दिन नमक नहीं खाना चाहिए | माँ पार्वती कहती हैं कि यही व्रत करके मैं भगवान् शिव के साथ आनंदित रहती हूँ | उत्तम पति की प्राप्ति के लिए कुँवारी कन्याओं को भी यह व्रत करना चाहिए | जिनको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो वे भी यह व्रत करके संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं | मनुष्य को इसदिन झूट बोलने, पापकर्म करने और दूसरों को आत्मिक कष्ट पहुचाने से बचना चाहिए क्योंकि, इसदिन किया गया पाप कभी नष्ट नहीं होता वह हर जन्म में जीव का पीछा करता हुआ उसे प्रताणित करता है | इसदिन जगतगुरु भगवान् नारायण की लक्ष्मी सहित गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए | अगर भगवान् विष्णु को गंगा जल और अक्षत से स्नान करावै तो मनुष्य को राजसूय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है प्राणी सब पापों से मुक्त हो जाता है | यहदिन वृक्षारोपण के लिए सर्वश्रेष्ठ कहा गया है, इसदिन पंचपल्लव जिनमें पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, और पञ्चअमृत वृक्ष जिनमें आंवला, बेल, जामुन, हरर और बहेड़ा अथवा अन्य फलदार वृक्ष लगाने से मनुष्य सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है | जिसप्रकार अक्षयतृतीया को लगाये गये वृक्ष हरे-भरे होकर पल्लवित- पुष्पित होते हैं उसी प्रकार इसदिन वृक्षारोपण करने वाला प्राणी भी कामयाबियों के शिखर पर पहुंचता है, अतः आनेवाले अक्षय मुहूर्त को पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए |

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

शनि हुए वक्री बढ़ेगी अराजकता
आज 25 मार्च दोपहरबाद 03 बजकर 17 मिनट पर ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण एवं बृश्चिक राशि पर शनि वक्री हो रहे हैं ये पुनः 13 अगस्त को
अनुराधा नक्षत्र के चतुर्थ चरण एवं बृश्चिक राशि पर मार्गी होंगे | इसप्रकार शनि 4 माह 19 दिनतक वक्र गति से चलेंगें | मार्गी का विलोम शब्द वक्री होता है, जिसका अर्थ है टेढ़ा चलना अथवा मुह फेर लेना | इसे आप व्यावहारिक भाषा में शनि का मुह फेर लेना भी कह सकते हैं | इसलिए जिन राशि के जातकों की जन्मकुंडलियों में शनि शुभ स्थान अथवा शुभ गोचर में चल रहे हैं उनके लिए तो वक्री शनि अच्छे नहीं कहे जायेगें क्योंकि आपकी मदद करने वाले ने आपसे मुह फेर लिया, किन्तु जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में शनि अशुभफलकारक हैं अथवा गोचर में अशुभ भाव में चलरहे हैं उनके लिए तो राहत है क्योंकि प्रताड़ित करने पीछे मुड़ गया | जिन असामाजिक तत्वों अथवा आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं, अधिकारियों को शनि दंड दे रहे थे वै अब राहत की साँस लेगें और अवसर मिलते ही पुनः अनैतिक गतिविधियों में लग जायेंगें | देश द्रोहियों एवं गद्दारों का वर्चस्व पुनः बढ़ने लगेगा वै बेलगाम हो जायेंगें क्योंकि उन्हें प्रशासन का डर नहीं रहेगा | इसीलिए ज्योतिषीय विद्वान् फलित करते समय वक्री शनि को अशुभ बताते हैं क्योंकि इस अवधि में सामाजिक शान्ति तो भंग होती ही है व्यावहारिक समरसता का भी अभाव रहता है | शेयर बाज़ार में कमोडिटी के सेक्टर्स के साथ-साथ क्रूड आयल, स्टील, कोल, सीमेंट्स लौह, ऑटो एवं शनिदेव से सम्बंधित वस्तुओं के सेक्टर्स में अच्छी खरीदारी-बिकवाली रहेगी | इसी अवधि के मध्य पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं, आँधी-तूफ़ान चक्रवातीय वर्षा की अधिकता रहेगी | मेष और सिंह राशि पर शनि की ढैया, तथा तुला, बृश्चिक एवं धनु राशि पर शाढ़ेसाती चलने के परिणामस्वरूप इन राशि वाले जातकों कुछ दिनों के लिए राहत मिलेगी इसलिए इन्हें अपने कर्मों में और अधिक सुधार लाना चाहिए ताकि आने वाला समय अनुकूल रहे | बृषभ,मिथुन, कर्क, कन्या, मकर, कुम्भ और मीन राशि वालों को सन्मार्ग पर चलते हुए सत्कर्मों की वृद्धि करनी चाहिए | जिन लोगों पर इनकी महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यांतरदशा, सूक्ष्मदशा आदि चल रही हो उन्हें विषम परिस्थियों में भी सत्यभाषण का त्याग नही करना चाहिए तभी शनि की अनुकूलता मिलेगी | वक्री शनि के अशुभ प्रबाव से बचने के लिए प्रतिदिन "ॐ नमो भगवते शनैश्चराय'' का जप करें, पीपल अथवा शमी का वृक्ष लगाएं |16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों-विद्यार्थियों पर शनि का कोई भी अशुभ प्रभाव नही रहेगा, अतः बच्चों को परीक्षा में अधिक सफलता के पाने के लिए माता, पिता एवं गुरु की सेवा तथा परोपकार करना चाहिए | पं जयगोविन्द शास्त्री 

मंगलवार, 8 मार्च 2016

सूर्यग्रहण 09 मार्च को
आगामी फाल्गुन अमावस्या बुधवार 09 मार्च को लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में खण्डग्रास एवं ग्रस्तोदय खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा |
यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिणकोरिया, जापान, सिंगापुर एवं आस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा | भारत के उत्तर तथा उत्तर पश्चिमी भागों में ग्रहण दिखाई नहीं देगा अतः इन स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित दोष का विचार नहीं किया जायेगा इस स्थानों पर धार्मिक एवं मांगलिक कृत्य यथावत मनाये जायेंगें | ग्रहण का आरम्भ प्रातः 04 बजकर 49 मिनट पर होगा जिसके परिणाम स्वरूप इसका सूतककाल 12 घंटे पूर्व 08 मार्च की शायं 04 बजकर 49 मिनट से आरम्भ हो जाएगा | प्रातः 05बजकर 47 मिनट पर ही खग्रास प्रारम्भ हो जायेगा 07 बजकर 27 मिनट पर पूर्णग्रास दिखाई देगा | 09 बजकर 08 मिनट पर खग्रास समाप्त हो जाएगा |10 बजकर 05 मिनट पर पूरी तरह सूर्यदेव ग्रहण मुक्त हो जायेंगे | इस प्रकार ग्रहण की पूर्ण अवधि 05 घंटे 16मिनट की रहेगी | यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र एवं कुंभ राशि में घटित हो रहा है अतः इस राशि वाले जातकों को ग्रहण ॐ नमः शिवाय का जप अधिक से अधिक करना चाहिए | ग्रहण साध्य योग में पड रहा है इसलिए साधू-संतो एवं सन्मार्गियों के लिए अशुभ रहने वाला है | मेष, कर्क, बृश्चिक, धनु, राशि वालों के लिए ग्रहण का स्वास्थ्य, आर्थिक एवं व्यापारिक दृष्टि से शुभ रहेगा | तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को अधिक व्यय के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा | बृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, राशि वालों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार से सम्बंधित चिंताएं बढ़ायेगा | विद्यार्थी वर्ग को परीक्षा अथवा किसी भी प्रतियोगिता के भाग लेते समय गणेश एवं सरस्वती माँ का स्मरण करना चाहिए | इस ग्रहण के दुष्प्रभाव स्वरूप प्राणियों की जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर हो सकती है अतः इससे बचने के लिए ॐ नमोऽ भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा | मंत्र का जप करना श्रेयष्कर रहेगा | गर्भवती महिलायें ग्रहण देखने से बचें अन्यथा जन्म लेने वाले जीव के क्रमिक विकास में बाधा आ सकती है | किसी भी ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती के उदरभाग में गाय का गोबर और तुलसी का लेप लगायें | ग्रहण के दौरान गर्भवती माताएँ-बहने पृथ्वी पर न लेटें और न ही किसी वस्तु को काटने के लिए कैंची एवं चाकू का प्रयोग करें | ग्रहण समाप्ति के पश्च्यात स्नान करके यथा शक्ति दान पुण्य करें | पं जयगोविन्द शास्त्री 

सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

द्वै पक्षे बन्धमोक्षाय न ममेति ममेति च |
ममेति बध्यते जंतुः न ममेति प्रमुच्चते |
अर्थात बंधन और मोक्ष के लिए इस संसार में दो ही पद हैं एक
पद है 'यह मेरा नहीं है,'दूसरा पद है- 'यह मेरा है' (ममेति) |
मेरा है- इस ज्ञान से वह बंध जाता है और यह मेरा नहीं है इस
ज्ञान से वह मुक्त हो जाता है |

शनिवार, 19 दिसंबर 2015

परमेश्वर श्रीमहाकाल की असीम अनुकम्पा से पाँचवी बार महारुद्राभिषेक पाठ करने का सौभाग्य मिलने वाला है, आप सभी मित्र भी इस यज्ञ में भाग लेकर पुण्यार्जन कर सकते हैं |
परमेश्वर श्रीमहाकाल की असीम अनुकम्पा से पाँचवी बार महारुद्राभिषेक पाठ करने का सौभाग्य मिलने वाला है, आप सभी मित्र भी इस यज्ञ में भाग लेकर पुण्यार्जन कर सकते हैं |