गुरुवार, 14 मई 2020

बृहस्पति हुए वक्री आपकी राशि पर कैसा रहेगा प्रभाव


आजकल अतिचारी होकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के द्वितीय चरण तथा मकर राशि में गोचर करते हुए देवगुरु बृहस्पति 14 मई की की शाम 07 बजकर
56 मिनट पर 4 माह के लिए वक्री हो रहे हैं, ये पुनः 13 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर मार्गी होंगे | धनु तथा मीन राशि के स्वामी
गुरु का वक्री होना पृथ्वी वासियों विशेष करके केंद्र एवं राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, साधु-संतो और अन्य आध्यात्मिक गुरुओं के साथ-साथ
प्राकृतिक आपदाओं, आंधी तूफानों के अधिक से अधिक आने के संकेत है |
फलित ज्योतिष में वक्री गुरु से तात्पर्य-
संहिता ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रह के वक्री होने का अर्थ है, उस ग्रह का अपने ही गंतव्य मार्ग से पुनः वापस लौटना अथवा मार्ग से मुह फेर
लेना प्राणियों को उसग्रह के मार्गी होने से मिल रही सकारात्मक ऊर्जा का बाधित होना-रुकजाना | गुरु को सृष्टि का आध्यात्मिक ज्ञान प्रदाता कहा
गया है, ये ब्रह्मज्ञान, शिक्षण संस्थाओं, भारी उद्योगों, बैंकों, जीवन बीमा निगम जैसी संस्थाओं, गैस के भंडारों, धार्मिक कार्यों, धर्माचार्यों एवं शासन
सत्ता के सलाहकारों के कारक हैं | इनके वक्री होने की घटना को व्याहारिक दृष्टि से देखें तो महत्व समझ में आयेगा कि जो व्यक्ति आप को
सद्बुद्धि-सन्मार्ग पर ले जाता है वही आप से मुहफेर ले तो कैसा लगेगा, आप पर क्या गुजरेगी ! बस वक्री का अर्थ यही होता है | इनके वक्री होने का
सर्वाधिक असर संत-महात्माओं पर होता है | उनके चाल-चलन पर आरोप प्रत्यारोप लगने आरम्भ हो जाते हैं, कहीं न कहीं उनकी सामाजिक गरिमा का
ह्रास होने लगता है यहाँतक कि, उनपर हमले होते हुए भी देखा गया है प्राचीन काल में इसी गुरु की वक्री अवस्था में असुर राजाओं द्वारा संत महात्माओं
और यज्ञकर्ता वैदिक ब्राह्मणों पर अत्याचार होता रहा है इसलिए इनका वक्री होना इन सबके लिए बेहद अशुभ संकेत है |
गुरु द्वारा आत्मबोध का ज्ञान-
प्राणियों की जन्मकुंडली में बृहस्पति की शुभ स्थानों की स्थिति उन्हें आत्मबोध की ज्योति प्रदान करती है अतः इनका वक्री होना, उच्च राशि अथवा
नीचराशिगत होना, स्वगृही, मित्रगृही, दिग्बली, दृष्टि सम्बन्ध आदि सब जीवन के अति महत्व पूर्ण अंग हैं | ये जब मार्गी रहते हैं तो बुद्धि को सुचारू
रूप से सही दिशा में चलाते है किन्तु वक्री होने पर मन-मस्तिस्क में भय-भ्रम और विषाद
पैदा कर देतें हैं | जिनकी कुंडली में गुरु अशुभ भाव में हों अथवा अशुभ राशि में गोचर कर रहे हों वे इस अवधि में अधिक परेशान होंगें, क्योंकि
अशुभ गुरु के समय व्यक्ति भावावेश में कई ऐसे निर्णय ले लेता है जो स्वयं उसी के लिए आत्मघाती सिद्ध होते हैं | यहाँतक कि सरकारें भी न्याय
और नितिपरक निर्णय लेने में असमर्थ हो जाती हैं मंत्रिमंडल में अधिकतर फेरबदल अथवा विस्तार ऐसी ही अवधि में होते हैं | सभी राशि वालों के
लिए यह समय अति सूझ-बूझ और सावधानी बरतने का है, अतः संयम से काम और निर्णय लें |
गुरु के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय-
अशुभ गुरु की शांति के लिए ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः, मंत्र का जप करना तथा गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करना उत्तम रहेगा | बृहस्पति
का ही गायत्री मंत्र ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात् | का जप हर तरह की गुरुजन्य परेशानियों से मुक्ति देगा |
पञ्चपल्लव जिनमें आप, पाकड़, पीपल, गूलर तथा बरगद के वृक्षों का आरोपण करने के साथ साथ गुरु के प्रिय वृक्ष नीम, अनार और कनेर के
वृक्षों का रोपण करना भी आपके संकल्प सिद्धि में सहायता करेगा |
वक्री बृहस्पति का आपकी राशि कैसा रहेगा प्रभाव-
मेष राशि- राशि से दशमभाव में गुरु कार्यक्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल बनाएंगे किंतु, शुभ ग्रह होने के फलस्वरूप यह नौकरी
में पदोन्नति और स्थान परिवर्तन का भी योग बनाएंगे | नई सर्विस के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो अवसर अच्छा रहेगा |
विदेश यात्रा अथवा विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन आदि करना शुभ रहेगा |
वृषभ राशि- राशि से धर्मभाव में बृहस्पति का गोचर आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा तो बढ़ाएगा किन्तु धर्म-कर्म के मामलों में अधिक
खर्च होगा | संतान संबंधी चिंता से कुछ मानसिक अशांति रहेगी | नवदंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग बन
रहे हैं | मकान वाहन से संबंधित क्रय का संकल्प पूर्ण होने के योग |
मिथुन राशि- राशि से अष्टमभाव में बृहस्पति मिले-जुले फल देंगे | स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव रहेगा | कार्य क्षेत्र में भी षड्यंत्र का
शिकार होने से बचे | अचल संपत्ति के साथ वाहन खरीदने का संकल्प पूर्ण होगा | परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से मतभेद ना पैदा
होने दें | आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे, सावधान रहें |
कर्क राशि- राशि से सप्तमभाव में बृहस्पति का गोचर करना दैनिक व्यापारियों के लिए शुभ रहेगा किंतु, शादी विवाह से संबंधित
वार्ता में थोड़ा विलंब हो सकता है | ससुराल पक्ष से रिश्ते बिगड़ने न दें, इस अवधि के मध्य साझा व्यापार आरंभ करने से बचें |
उच्चाधिकारियों से भी मधुर संबंध बनाए रखें, शासन सत्ता का सदुपयोग करें |
सिंह राशि- राशि से छठें शत्रुभाव में बृहस्पति का वक्री होना गुप्त शत्रुओं से परेशान करेगा | इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के
लेन-देन से और फिजूलखर्ची से भी बचें | कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा | कष्टकर यात्रा भी
करनी पड़ सकती है, किसी अप्रिय समाचार से मन अशांत होगा |
कन्या राशि- राशि से पंचमभाव में गुरु के वक्री होने से प्रेम संबंधी मामलों में तो नुकसान हो सकता है किंतु शिक्षा प्रतियोगिता में
अच्छी सफलता मिलेगी संतान के दायित्व की पूर्ति होगी नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रभाव कभी योग बन रहा है | परिवार
के सदस्यों से लाभ होगा और बड़े भाइयों से मतभेद पैदा होने दें |
तुला राशि- राशि से चतुर्थ भाव में गुरु का वक्री होना पारिवारिक एवं मानसिक अशांति लाएगा | यात्रा के समय सामान चोरी होने
से बचाएं | माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें फिर भी, मकान वाहन से संबंधित क्रय का संकल्प पूर्ण होगा | कार्यक्षेत्र
का विस्तार होगा और सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी |
वृश्चिक राशि- तृतीय पराक्रमभाव में गुरु का वक्री होना आपके स्वभाव में उग्रता ला सकता है इसलिए संयम बरकरार रखें |
सामाजिक कार्यों के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे | संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी | शादी विवाह से संबंधित
वार्ता भी सफल रहेगी दैनिक व्यापारियों के लिए विशेष शुभ  |
धनु राशि- राशि से द्वितीय धनभाव में बृहस्पति का वक्री होना मिलाजुला फल देगा किसी महंगी वस्तु का क्रय करेंगे | आकस्मिक
धन प्राप्ति के योग भी बनेंगे | परिवार में आपसी मेलजोल बनाकर रखें, टकराव की स्थिति उत्पन्न होने दें | कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का
शिकार होने से बचें | उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें
मकर राशि- आपकी राशि में ही वृहस्पति का वक्री होना मानसिक तनाव देगा और कहीं ना कहीं आप में अहंकार का भाव पैदा होगा
इससे बचें | अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता मिलती रहेगी | शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता
एवं शादी विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी | दैनिक व्यापारियों के लिए विशेष लाभ |
कुंभ राशि- राशि से हानिभाव में बृहस्पति का वक्री होना कुछ अप्रिय सूचना दे सकता है | भागदौड़ की अधिकता रहेगी कष्टकर यात्रा
भी करनी पड़ सकती है | अधिक व्यय के परिणामस्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है | गुप्त शत्रुओं के साथ ही
इस अवधि के मध्य उधार देने से भी बचें अन्यथा दिया गया धन वापस आने में संदेह |
मीन राशि- राशि से लाभभाव में बृहस्पति का वक्री होना परिवार के बड़े सदस्यों से मतभेद तो पैदा कर सकता है किंतु लाभ मार्ग प्रशस्त
होगा, रुका हुआ धन आएगा | विद्यार्थियों के लिए यह समय किसी वरदान से कम नहीं है, इसलिए परीक्षा में अच्छी सफलता के लिए
पढ़ाई में भी अधिक समय लगाएं | प्रेम संबंधों में समय नष्ट न करें |

सूर्य के बृषभ राशि में प्रवेश के साथ ही गर्मी का युवाकाल आरम्भ

सूर्यदेव अपनी उच्चराशि मेष की यात्रा समाप्त करके 14 मई को शायं  05 बजकर 14 बृषभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं | इनके बृषभ राशि में प्रवेश के साथ ही
ग्रीष्मऋतु की युवावस्था आरम्भ हो जायेगी और 24 मई की मध्य रात्रि पश्च्यात इनके रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही
गर्मी का चरम 'नौतपा' भी आरम्भ हो जायेगा | इनकी तपिश के परिणामस्वरुप मानसून बनने की प्रक्रिया का शुभारम्भ भी हो जाएगा |
शास्त्र कहते है कि केवल सूर्य की ही आराधना से सभी ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है | प्रत्यक्ष देवता सूर्य और चन्द्र में दोनों में ही पूर्व के
जन्मों के पाप शमन करने शक्ति रहती है | 'पूर्व जन्म कृतं पापं व्याधि रूपेण जायते' अर्थात पूर्व के जन्मों में किया गया पाप रोग के रूप में
उत्पन्न होता है | इन्हें अर्घ्य देकर और प्रणाम करके ही प्राणी भवसागर से मुक्त हो जाता है | जैसे रत्नों का आश्रय मेरुपर्वत, आश्चर्यों का
आश्रय आकाश, तीर्थों का आश्रय गंगा हैं उसी प्रकार सभी देवाताओं के आश्रय भगवान सूर्य हैं | देवगण भी भगवान सूर्य की ही आराधना
करते हैं | इस चराचर जगत में सभी प्राणियों के ह्रदय के ही सूर्य का निवास है यही जगतात्मा हैं | इनके बृषभ राशि में प्रवेश का सभी बारह
राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं |

मेष राशि- राशि से द्वितीयभाव में सूर्य का गोचर स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ प्रतिकूल रहेगा, विशेषकर के दाहिनी आंख से संबंधित समस्या से सावधान
रहना पड़ेगा, अग्नि, विष तथा दवाओं के रिएक्शन से भी बचना पड़ेगा कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें | परिवार में विघटन न पैदा होने दें |
कठोर वाणी का प्रयोग करने से बचें, ज़िद और आवेश पर नियंत्रण रखें | किसी महंगी वस्तु का क्रय करेंगे |
वृषभ राशि- आपकी राशि पर सूर्य, बुध और शुक्र का गोचर मिलाजुला फल देगा, हो सकता है शारीरिक पीड़ा से आपको परेशानी भी हो, शरीर में कैल्शियम
की कमी ना होने दें | दैनिक व्यापारियों के लिए समय अपेक्षाकृत अनुकूल है | विद्यार्थियों के लिए शिक्षा-प्रतियोगिता में अच्छी सफलता हासिल करने के
योग | शोधपरक एवं रचनात्मक कार्यों में अच्छी सफलता के साथ-साथ सम्मान भी हासिल होगा |
मिथुन राशि- राशि से बारहवें भाव में सूर्य का गोचर अत्यधिक व्यय करवाएगा, बाई आंख से संबंधित समस्या आ सकती है इसका ध्यान रखें | यात्रा
सावधानी पूर्वक करें | किसी अप्रिय समाचार से मन दुखी रहेगा, परिवार के बड़े सदस्यों से मतभेद ना पैदा होने दें | सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर
हिस्सा लेंगे और दान पुण्य भी करेंगे | विदेशी कंपनियों में सर्विस हेतु आवेदन करना लाभदायक रहेगा |
कर्क राशि- राशि से लाभभाव में सूर्य का गोचर सभी विषम परिस्थितियों से छुटकारा दिलाएगा | कोर्ट कचहरी के मामलों में भी निर्णय आपके पक्ष में
आने के संकेत | परिवार के वरिष्ठ सदस्यों विशेषकर के बड़े भाइयों से मतभेद ना पैदा होने दें | उच्चाधिकारियों से भी मधुर संबंध बनाकर रखेंगे, तो
कार्य बाधाओं से मुक्ति मिलेगी | आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किए गए कार्यों की सराहना भी होगी |
सिंह राशि- राशि से दशमभाव में सूर्य का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है, कार्य व्यापार में उन्नति के साथ-साथ पद और गरिमा की
भी वृद्धि होगी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी | आपके कुशल नेतृत्व को देखते हुए कार्यभार में भी बढ़ोतरी की जाएगी | नौकरी में स्थान परिवर्तन अथवा
नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का उपयुक्त समय | मकान वाहन के क्रय से संबंधित संकल्प पूर्ण होंगे |
कन्या राशि- राशि से भाग्यभाव में सूर्य, बुध और शुक्र का रहना किसी वरदान से कम नहीं है किंतु, कई बार आपका कार्य होते होते भी रुक जाया करेगा
इसलिए कोई भी कार्य या योजना जब तक पूर्ण न कर लें उसे सार्वजनिक ना करें | लोग आप को नीचा दिखाने की अथवा आपके खिलाफ षड्यंत्र रचने की
पूरी कोशिश करेंगे, सावधान रहें | विदेशी कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन करने का अच्छा समय |
तुला राशि- राशि से अष्टमभाव में तीन ग्रहों का होना आपको महाप्रतापी बनाएगा, अपने कठिन परिश्रम एवं कठोर निर्णय लेने के कारण आपका मान
सम्मान और यश बढ़ेगा किंतु इसी से आपके गुप्त शत्रु ही पैदा होंगे | प्रयास करें कि कार्य संपन्न करें और विवादों से दूर रहते हुए सीधे अपने निवास
स्थान पर आएं | स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहे अग्नि, विष तथा दवाओं के  रिएक्शन से बचें |
वृश्चिक राशि- राशि से सप्तम भाव में सूर्य का गोचर दैनिक व्यापारियों के लिए तो उत्तम रहेगा किंतु, ससुराल पक्ष से रिश्तो में कुछ कड़वाहट आने
के संकेत | विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी | केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्रमुख प्रतिष्ठानों से संबंधित कोई कार्य रुका हो तो उसे संपन्न कराएं,
सफलता मिलेगी |माता पिता के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें, अधिकारियों से मतभेद न पनपने दें |
धनु राशि- राशि से शत्रुभाव में सूर्य का गोचर आपको विषम परिस्थितियों से लड़ने में मदद करेगा, शत्रु परास्त होंगे और कोर्ट कचहरी के मामले में
निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत | ननिहाल पक्ष से रिश्तो में कड़वाहट आ सकती है इसे बढ़ने दें | अत्यधिक भागदौड़ और खर्च के कारण कुछ
मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा अपने इष्ट बंधुओं अथवा मित्रों से अशुभ समाचार के योग |
मकर राशि- राशि से पंचमभाव में सूर्य का गोचर और साथ ही बुध तथा शुक्र की उपस्थिति संतान संबंधी चिंता से मुक्ति दिलाएगी यहांतक कि,
नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग हैं | प्रेम संबंधी मामलों में मतभेद के संकेत | शोधपरक कार्यों में लगे प्रतियोगी छात्रों
के लिए यह समय और बेहतर है | व्यापारिक वर्ग के लिए समय अनुकूल है रुका हुआ धन आएगा आय के स्रोत बढ़ेंगे |
कुंभ राशि- राशि से चतुर्थभाव में सूर्य का गोचर मिलाजुला फल देगा | पारिवारिक कलह के कारण मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है |
माता पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें | वाहन क्रय करने के सपने में भी कुछ बाधा आ सकती है इसे ग्रह योग समझकर परेशान ना हो | मित्रों से
कुछ निराशा हाथ लगेगी इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें, अन्यथा दिये गए धन की वापसी में संदेह |
मीन राशि- राशि से पराक्रम भाव में सूर्य का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है | साहस और पराक्रम की वृद्धि तो होगी ही ऊर्जा शक्ति
की भी अधिकता रहेगी जिसके कारण विषम हालात पर भी नियंत्रण पा लेंगे | आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी किंतु परिवार के सदस्यों
से मतभेद न पैदा होने दें | विदेशी कंपनियों में सर्विस हेतु आवेदन अथवा विदेशी नागरिकता के लिए वीजा आवेदन करना शुभ रहेगा |

रविवार, 10 मई 2020

कहीं शनि आपकी राशि के लिए घातक तो नहीं !

कहीं शनि आपकी राशि के लिए घातक तो नहीं !
शनिदेव की साढ़ेसाती का नाम आते ही प्राणी किसी न किसी कारण से बेचैन होने लगते हैं कि ये साढ़ेसाती उनके लिए शुभ रहेगी याअशुभ | सत्य ये है कि इनकी साढ़ेसाती, ढैया और मारकेश दशा के रूप में गोचरकाल प्राणियों के अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार उन्हेंपुरस्कार तथा दंड देने के लिए ही आता है | प्राणी के कर्म अच्छे हैं तो अशुभ प्रभाव कम होगा और उसे अच्छे फल मिलेंगे किंतु,प्राणियों के कर्म ज्यादा बुरे हैं तो अशुभ प्रभाव अतिशय पीड़ादाई होगा | जाने शनि की साढ़ेसाती और उनके गोचर काल के प्रभावके बारे में |क्या है शनि की साढ़ेसाती-अपने गोचरकाल में शनिदेव एक राशि पर ढाई वर्ष रहते हैं | जब यह आपकी जन्म राशि से पहले, दूसरे और बारहवें स्थानों मेंभ्रमण करते हैं तो यह काल शाढ़े सात वर्ष का रहता है और इसे ही साढ़ेसाती कहते हैं | ज्योतिष सूत्र के अनुसारद्वादशे जन्मगे राशौ द्वितीये च चनैश्चरः | सार्द्धानि सप्तवर्षाणि तदा दुःखैर्युतो भवेत् |शनि गोचर से बारहवें स्थान पर हों तो सिर पर, जन्म राशि पर हों तो हृदय पर और जन्म राशि से द्वितीय स्थान में हों तोपैर पर उतरती साढ़ेसाती के रूप में अपना प्रभाव डालते हैं | जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम स्थानों पर गोचर करते हुए शनिकी ढैया रहती है, जो ढ़ाई वर्षतक चलती है यह भी जातक के लिए अति कष्टकारी रहती है | शनि का पाया विचार-शनि के राशि परिवर्तन के समय यदि चंद्रमा पहले, छठे और ग्यारहवें स्थान में हों तो सोने का पाया, दूसरे, पांचवें में तथा नवमस्थान में हो तो चांदी के पाये पर गोचर करते कहलाते हैं | जब शनिदेव तीसरे, सातवें एवं दसवें स्थान में हों तो तांबे का पायाऔर चौथे, आठवें तथा बारहवें स्थान में हो तो लोहे के पाए पर गोचर करते हुए माने गए हैं | सोने के पाए पर हों तो सुखों कोदेने वाले, चांदी के पाये पर गोचर करते हुए सौभाग्य बढ़ाने वाले और ताबे के पाए पर गोचर करते हुए शनि मध्यम फल देते हैंजबकि लोहे के पाए पर गोचर करते हुए शनि अनेक प्रकार के कष्ट एवं धन हानि करते हैं | राशियों पर इनका प्रभाव-यदि शनि जातक के जन्म के समय मिथुन, कर्क, कन्या, धनु अथवा मीन राशि पर गोचर कर रहे हों तो मध्यम फलदाई होतेहैं | मेष, सिंह और वृश्चिक पर गोचर करते हुए शनिदेव प्रतिकूल प्रभाव देने के लिए तत्पर रहते हैं | वृषभ तुला मकर औरकुंभ राशि वालों के लिए शनि हमेशा लाभदायक रहते हैं इन राशियों में इनके गोचर करते समय जो जातक जन्म लेते हैं उनकेजीवन में एक समय ऐसा अवश्य आता है जब ये जातक को रंक से राजा बना देते हैं | ऐसे व्यक्तियों के जीवन में आकस्मिकताका प्रभाव सर्वाधिक रहता है | लोग जनप्रिय होते हैं और छोटे स्तर से कार्य करके कामयाबी की बुलंदी तक पहुंचते हैं |शनि की शाढ़े साती अथवा मारकेश में सर्वाधिक पीड़ा पाने वाले कौन-शनिदेव अपनी साढ़ेसाती या ढैय्या या मारकेश दशा में ऐसे लोगों को अत्यधिक कष्ट पहुंचाते हैं जो, विश्वासघाती, गुरुजनों सेधोखा करने वाले, अति झूठ बोलने वाले, मित्रों से झूठ बोलकर उनको हानि पहुंचाने वाले, कृतघ्न, न्यायालय में झूठी गवाहीदेने वाले, भिखारियों को अपमानित करने वाले, अति स्वार्थी, धूर्तता या चालाकी से धन हड़पने वाले, बुजुर्गों को अपमानितकरने वाले, रिश्वत लेने वाले, व्यभिचार में लिप्त तथा नशा करने वाले, चींटी, कुत्ते या कौवे को मारने वाले होते हैं |

बुधवार, 6 मई 2020

मंगल का मकर में प्रवेश और शनि के साथ उनकी युति

मंगल का मकर में प्रवेश और शनि के साथ उनकी युति
महान ग्रह मंगल 22 मार्च की रात्रि 10 बजकर 06 मिनट पर धनु राशि की यात्रा संपन्न करके अपनी उच्चराशि मकर में प्रवेश करेंगे, जहां ये पहले
से ही विराजमान शनिदेव के साथ युति करेंगे | मकर राशि में ये 04 मई की की रात्रि 08 बजकर बजकर 37 मिनट तक रहने के पश्च्यात कुंभ राशि
में प्रवेश करेंगे | मकर राशि शनिदेव की अपनी राशि है और मंगल की उच्चराशि है अतः यह संयोग कम विनाशक सिद्ध होगा फिर भी शनि-मंगल की
इस युति का सभी बारह राशियों पर कैसा प्रभाव रहेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं |
मेष राशि-  राशि से दशम भाव में मंगल का उच्चराशिगत होना आपके लिए तरह-तरह की कामयाबी दिलाएगा विशेष करके नौकरी में पदोन्नति एवं
नए अनुबंध की प्राप्ति के भी योग बनाएगा किंतु स्वभाव पर इन की नीच दृष्टि के प्रभाव स्वरूप पारिवारिक कलह से मानसिक पीड़ा बढ़ सकती है |
माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, भूमि भवन एवं अचल संपत्ति का योग, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी एवं कार्यक्षेत्र का विस्तार भी होगा |
वृषभ राशि- राशि से भाग्यभाव में उच्चराशिगत मंगल कई तरह के अप्रत्याशित परिणाम दिलाएगा, विदेश यात्रा अथवा विदेशी व्यक्तियों से संपर्क बढ़ेगा
किंतु ध्यान रहे आपकी राशि के लिए मंगल नुकसानदेय भी हो सकते हैं | इस अवधि के मध्य सभी निर्णय दिल की बजाए दिमाग से लें | पराक्रम
की वृद्धि तो होगी किंतु, परिवार के बड़े सदस्यों अथवा बड़े भाइयों से मतभेद न पैदा होने दें | झगड़े विवाद से बचें, यात्रा सावधानीपूर्वक करें |
मिथुन राशि- राशि से अष्टमभाव में उच्चराशिगत मंगल आपको प्रतापी एवं आक्रामक बनाएंगे फिर भी, कार्यक्षेत्र में झगड़े विवाद से बचें | स्वास्थ्य
का ध्यान रखें वाहन सावधानी पूर्वक चलाएं दुर्घटना से बचें | कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा | इनकी नीच दृष्टि धनभाव
पर पड़ रही है जिसके परिणामस्वरूप अप्रत्याशित रुप से धन हानि की संभावना भी बनती है अतः लेन-देन के मामलों में भी सावधानी बरतें |
कर्क राशि- राशि से सप्तमभाव में उच्चराशिगत मंगल आपके लिए कई मायनों में किसी वरदान से कम नहीं है किंतु यह भी संभावना बनती है कि
शादी- विवाह से संबंधित मामलों में विलंब हो | दैनिक व्यापार से अधिक लाभ होगा | इनका शुभ प्रभाव आपके कार्य क्षेत्र का विकास करेगा सामाजिक
प्रतिष्ठा बढ़ेगी नौकरी में पदोन्नति एवं नए अनुबंध की प्राप्ति के भी योग बनेंगे, आपको चाहिए कि मंगल के इस गोचर का भरपूर लाभ उठाएं |
सिंह राशि- राशि से छठे शत्रुभाव में उच्चराशिगत मंगल आपके विरोधियों का पूर्णतः शमन कर देंगे | कोर्ट कचहरी के मामले भी आपके पक्ष में आने
के संकेत | इस अवधि के मध्य केंद्र अथवा राज्य सरकार से संबंधित रुके हुए आपके कार्यों का निपटारा होगा | नौकरी में उन्नति एवं नए अनुबंध की
प्राप्ति के भी योग, उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें और जबतक अपनी योजनाएं पूर्ण न हो जाए उसे सार्वजनिक न करें |
कन्या राशि- राशि से पंचमभाव में मंगल शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता देंगे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विद्यार्थियों के लिए तो यह गोचर किसी
वरदान से कम नहीं है, शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता हासिल होगी | संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी, नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं
प्रादुर्भाव के योग बन रहे हैं | सरकारी सर्विस हेतु आवेदन करने का बेहतर अवसर, अपनी जिद और आवेश पर नियंत्रण रखते हुए आगे बढ़ें |
तुला राशि- राशि से चतुर्थ भाव में मारकेश मंगल का गोचर आपके लिए मिलाजुला फल देने वाला सिद्ध होगा | कार्य व्यापार में भी स्थितियां सामान्य रहेंगी पारिवारिक कलह एवं मानसिक अशांति से आप कहीं न कहीं अपने आपको परेशान महसूस करेंगे | माता पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए परिवार में
विघटन न होने दें | इन सबके बावजूद भूमि भवन एवं वाहन के सुख प्राप्ति का योग बन रहा है यात्रा के समय सामान चोरी होने से बचाएं |
वृश्चिक राशि- राशि से पराक्रम भाव में उच्चराशिगत मंगल आपके लिए बेहतरीन सफलता लेकर आ रहे हैं साहस एवं पराक्रम की वृद्धि होगी और इसी के
बलपर आप विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे | मान सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा तो बढ़ेगी ही विदेश यात्रा एवं देशाटन का लाभ मिलेगा, यहांतक
कि किसी अन्य देश की नागरिकता के लिए वीजा आदि के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो गोचर अच्छी सफलता के संकेत दे रहा है |
धनु राशि- राशि से धनभाव में मंगल का गोचर कुछ पारिवारिक कलह तो दे सकता है किंतु आर्थिक पक्ष बहुत मजबूत करेगा कहीं से रुका हुआ धन आएगा,
और आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनेंगे | नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो अथवा स्थान परिवर्तन हेतु प्रयास करना हो तो यह अवसर अच्छा रहेगा  स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यात्रा सावधानीपूर्वक करें | बेहतर रहेगा कि कार्य क्षेत्र से कार्य निपटाए और सीधे घर आएं |
मकर राशि- आपकी राशि में पहले से ही विद्यमान शनिदेव के साथ मंगल का आगमन कई अप्रत्याशित परिणाम देगा | आप कोई भी बड़े से बड़ा निर्णय भावनाओं में बहकर न लें झगड़े विवाद से बचें | कार्यव्यापार की दृष्टि से यह युति बेहतरीन सिद्ध होगी | स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सतर्क रहें, वाहन सावधानी
पूर्वक चलाएं | जमीन जायदाद से जुड़े हुए मामलों का निपटारा होगा और कोर्ट कचहरी के मामले आपके पक्ष में आने के संकेत |
कुंभ राशि- राशि से व्ययभाव में उच्च राशि का मंगल का जाना अत्यधिक यात्राएं तो कराएगा ही, साथ ही आर्थिक तंगी भी ला सकता है इसलिए अपव्यय
से बचें | कोर्ट कचहरी के मामले भी बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा | अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता वृद्धि होगी
अन्यथा तनाव अधिक रहेगा जिसके फलस्वरूप आपका स्वास्थ्य प्रभावित होगा | अधिक के कर्ज़ के लेन-देन से बचें |
मीन राशि- राशि से लाभभाव में उच्चराशि गत मंगल आपके सभी अरिष्टों का शमन करेंगे, इसलिए यदि आप अपनी योजनाओं को सही रूप से चलाएंगे
तो पिछले दिनों के हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी इन सबके बावजूद बड़े भाइयों से मतभेद बढ़ सकता है इसे ग्रह योग समझकर तूल न दें | व्यापारिक
वर्ग के लिए यह गोचर और भी बेहतर रहेगा विद्यार्थियों को शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता के योग, नौकरी के लिए आवेदन करें |

होलाष्टक पर आलेख- पं जयगोविन्द शास्त्री

होलाष्टक पर आलेख- पं जयगोविन्द शास्त्री
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी होलाष्टक तिथि का आरंभ है। इस तिथि से पूर्णिमा तक के आठों दिनों को होलाष्टक कहा गया है।
इस वर्ष होलाष्टक14 मार्च से आरंभ होंगे। होलाष्टक अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव दिखाने की है। सत्ययुग में हिरण्यकश्यपु ने घोर तपस्या करके भगवान
विष्णु से अनेक वरदान पा लिए।
वरदान के अहंकार में आकंठ डूबे हिरण्यकश्यपु ने अनाचार-दुराचार का मार्ग चुन लिया। भगवान् विष्णु से अपने भक्त की यह दुर्गति सहन नहीं हुई और उन्होंने
हिरण्यकश्यपु के उद्धार के लिए अपना अंश उनकी पत्नी कयाधू के गर्भ में स्थापित कर दिया, जो जन्म के बाद प्रह्लाद कहलाए। प्रह्लाद जन्म से ही ब्रह्मज्ञानी
थे। वे हर पल भक्ति में लीन रहते। उन्हें सभी नौ प्रकार की भक्ति प्राप्त थीं, जिनका उन्होंने इस तरह वर्णन किया है- श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पाद सेवनम।
अर्चनं वन्दनं दास्यंसख्यमात्म निवेदनम। यानी श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, व आत्मनिवेदनम।
प्रह्लाद की भक्ति का उनके पिता हिरण्यकश्यपु बहुत विरोध करते थे। प्रह्लाद को भक्ति से विमुख करने के उनके सभी उपाय जब निष्फल होने लगे तो उन्होंने
प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को बंदी बना लिया और मृत्यु हेतु तरह-तरह की यातनाएं देने लगे। प्रह्लाद विचलित नहीं हुए। इस दिन से प्रतिदिन प्रह्लाद
को मृत्यु देने के अनेकों उपाय किए जाने लगे, पर वे हमेशा बच जाते। इसी प्रकार सात दिन बीत गए। आठवें दिन अपने भाई हिरण्यकश्यपु की परेशानी देख उनकी
बहन होलिका (जिसे ब्रह्मा द्वारा अग्नि से न जलने का वरदान था) ने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में भस्म करने का प्रस्ताव रखा और होलिका जैसे ही अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती आग में बैठी, वह स्वयं जलने लगी और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।
तभी से भक्ति पर आघात हो रहे इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है। भक्ति पर जिस-जिस तिथि, वार को आघात होता, उस दिन और तिथियों के
स्वामी भी हिरण्यकश्यपु से क्रोधित हो जाते थे। इसीलिए इन आठ दिनों में क्रमश: अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु,
त्रयोदशी को बुध एवं चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र रूप लिए माने जाते हैं।
इसकी वजह से इन दिनों में गर्भाधान, विवाह, नामकरण, विद्यारम्भ, गृह प्रवेश व निर्माण आदि अनुष्ठान अशुभ माने गए हैं। तभी से फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन से
ही होलिकादहन स्थान का चुनाव किया जाता है। पूर्णिमा के दिन सायंकाल शुभ मुहूर्त में अग्निदेव की शीतलता एवं स्वयं की रक्षा के लिए उनकी पूजा करके
होलिका दहन किया जाता है।

सभी बारह राशियों का राशिफल 2020

मेष राशि- संवत्सर के आरंभ से ही आपके राशि स्वामी मंगल उच्चराशिगत होकर दशम कर्म भाव में बैठे हैं और साथ में शनिदेव भी विराजमान है कार्यक्षेत्र की दृष्टि से यह योग शुभ कहा जा सकता है किंतु माता पिता के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा अतः इसका ध्यान रखें | पराक्रम भाव में राहु आपको अति साहसी, ऊर्जावान और उद्यमी बनाएंगे जिसके फलस्वरूप आप बड़े से बड़ा निर्णय अथवा कार्य बड़ी सहजता के साथ कर लेंगे | अत्यधिक ऊर्जा के कारण आपको ज़िद एवं आवेश से बचना चाहिए और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों अथवा भाइयों से मतभेद ना होने पाए इसका ध्यान भी रखना चाहिए आरंभ से ही वृहस्पति आपके भाग्य भाव में बैठे हुए हैं जिनकी अमृत दृष्टि आपके ऊपर और आपके ज्ञान के ऊपर पड़ रही है, अतः शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता तो मिलेगी ही संतान संबंधी चिंता से मुक्ति भी मिलेगी | नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव का भी योग बनेगा और विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी | यात्रा देशाटन का पूर्ण आनंद उठाएंगे विदेश यात्रा एवं विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन आदि करना चाह रहे हों तो भी यह वर्ष आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है लाभ उठाएं | व्यापारिक वर्ग के लिए भी अत्यधिक उतार-चढ़ाव के बावजूद व्यापार लाभदायक रहेगा |
वृषभ राशि- वर्ष आरंभ से ही आपके राशि स्वामी शुक्र व्यय भाव में गोचर कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप आपके लिए वर्ष भागदौड़ अधिक कराएगा और विलासिता पर वह भी होगा | स्वास्थ्य विशेष करके बाई आंख का ध्यान रखना चाहिए | 29 मार्च बाद ही वृहस्पति  आरती चारी होकर मकर राशि में चले जाएंगे जहां पर पहले से ही मंगल एवं शनि विराजमान है यहां पर वृहस्पति नीच राशि संज्ञक हो जाएंगे | अतः नौकरी में स्थान परिवर्तन एवं तनाव की संभावना बढ़ जाएगी इसलिए कार्यक्षेत्र में उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें जहांतक संभव हो झगड़े विवाद से बचते रहें | राहु का उच्चराशिगत होकर धनभाव में होना आकस्मिक धन प्राप्ति के योग तो बनाएगा किंतु, परिवार में कलह का भी सामना करवाएगा आपके लिए विशेष सलाह है कि कोई भी बात ऐसी ना बोले कि विवाद पैदा हो और कठोर शब्दों का प्रयोग करने से बचें | जून के अंतिम सप्ताह में पुनः वृहस्पति अपनी राशि में आकर आपकी राशि से अष्टम मृत्यु भाव में चले जाएंगे जिसके परिणाम स्वरूप कठोर परिश्रम का सामना तो करना पड़ेगा किंतु आपको मान सम्मान भी मिलेगा | आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किए गए कार्यों की सराहना भी होगी इनकी अमृत दृष्टि आपके व्यभाव, धन और पराक्रम भाव पर भी पड़ेगी अतः धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करेंगे | व्यापारिक वर्ग के लिए उतार-चढ़ाव अधिक आएगा | विद्यार्थी वर्ग के लिए शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छे अंक की प्राप्ति के लिए और प्रयास करने होंगे | सूर्यदेव का गोचर सरकारी कार्यो का निपटारा कराने में मदद करेगा यहांतककि सरकारी सर्विस हेतु आवेदन भी करना चाह रहे हों तो परिणाम आपके पक्ष में आने के संकेत दिखाई दे रहे हैं |

मिथुन राशि- आपकी राशि स्वामी बुध संवत्सर के आरंभ से ही भाग्य भाव में बैठे हुए हैं अतः वर्ष आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है कुछ महीने तक बुध का प्रभाव आपके लिए अति शुभ रहेगा अतः आपका व्यापारिक एवं आर्थिक पक्ष मजबूत होगा शासन सत्ता से संबंधित किसी भी कार्य का निपटारा करवाना हो तो प्रयास तेज करें उच्चाधिकारियों से अच्छे संबंध बनेंगे | राहु पहले से ही आपकी राशि में विद्यमान है इसलिए यह संयोग भी आपको तीक्ष्ण बुद्धि वाला बनाएगा जिसके फलस्वरूप आपके लिए बड़े से बड़ा कार्य अथवा निर्णय लेना आपके लिए सहज हो जाएगा साथ ही आपकी राशि से सप्तम भाव में बैठे वृहस्पति की पूर्ण दृष्टि भी आपके ऊपर पड़ रही है जिसके प्रभाव स्वरूप शादी विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव का भी योग बनेगा ससुराल पक्ष से रिश्ते मजबूत बनेंगे | यदि आप व्यापारी हैं तो भी आपके लिए यह संयोग अतिशुभ साबित होगा |काफी दिनों से रुका हुआ आपका धन वापस मिलेगा किंतु कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही निपटा लें तो बेहतर रहेगा क्योंकि अष्टम भाव में शनि और मंगल की युति आपको झगड़े विवाद से दूर रहने एवं वाहन सावधानी पूर्वक चलाने के संकेत कर रही है, कार्यक्षेत्र में भी षडयंत्र का शिकार होने से बचें, बेहतर रहेगा कि अपना कार्य संपन्न करें और सीधे घर आएं | स्वास्थ्य विशेषकर के रक्तविकार, जोड़ों में दर्द एवं वाद संबंधी रोगों से हमेशा सावधान रहना पड़ेगा | सूर्य एवं शुक्र का वर्तमान समय में गोचर आपके कार्य का विस्तार करेगा एक से अधिक आय के साधन बनेंगे |
कर्क राशि- संवत्सर के आरंभ से ही राशिस्वामी स्वामी चंद्र भाग्य भाव में बैठे हुए हैं, जो अपने पुत्र बुध के नक्षत्र में विराजमान हैं यह संयोग आपके लिए वर्ष वर्ष पर्यंत कवच का काम करेगा भाग्यभाव में सूर्य देव भी विराजमान हैं अतः व्यापार अथवा रोजगार के लिए यह संयोग अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा नौकरी में पदोन्नति एवं स्थान परिवर्तन का भी योग बन रहा है | प्रशासनिक कार्यो का निपटारा होगा आपकी समझदारी इसी में है कि उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें और अपने कार्य संपन्न करवाते रहें | अपनीउच्चराशि में राहु आपके व्यय भाव में विराजमान हैं इसके परिणाम स्वरूप आपको कई बार व्यर्थ भागदौड़ का सामना करना पड़ेगा, लोग आपको कार्य के लिए बुलाएंगे, मीटिंग के लिए बुलाएंगे और पहुंचने पर वह मीटिंग कैंसिल कर देंगे जिससे आपको परेशान होना पड़  सकता है | बृहस्पति आपके शत्रुभाव में गोचर कर रहे हैं तो आपको हर समय स्वास्थ्य सेतु सावधान रहना ही पड़ेगा गुप्त शत्रुओं से भी बचते रहना पड़ेगा मार्च के अंतिम सप्ताह  से जून के अंतिम सप्ताह तक वृहस्पति अतिचारी होकर मकर राशि में प्रवेश करके आप पर उच्च दृष्टि डालेंगे अतः इस अवधि के मध्य आप कोई भी बड़े से बड़ा कार्य अथवा निर्णय लेना चाहें तो शीघ्रता से लें | शादी विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी और दैनिक व्यापार में अत्यधिक लाभ की संभावना रहेगी | रोजगार की दिशा में किया गया लगभग सभी प्रयास सफल रहेगा | जुलाई से पुनः ग्रह स्थितियों में सुधार होगा, आपको हर निर्णय सावधानीपूर्वक लेने पड़ेंगे |

सिंह राशि- वर्ष के आरंभ से ही आपके राशि स्वामी सूर्य अष्टम प्रताप भाव में गए हुए हैं जिसके परिणाम स्वरूप आपको अग्नि, विष एवं  दवाओं के रिएक्शन से बचना पड़ेगा किंतु यही योग आपको मान सम्मान और प्रतिष्ठा भी दिलाएगा | वृहस्पति आपकी राशि से पंचम भाव में विराजमान है अतः शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता मिलेगी, संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी | यहांतक कि नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति के भी योग बन रहे हैं | प्रेम विवाह करना चाह रहे हों तो यह संवत्सर सहायक सिद्ध होगा | गुरु के मकर राशि में गोचर के समय आपको गुप्त शत्रुओं से बचना पड़ेगा | राशि से भाग्य भाव में शुक्र का गोचर राजयोग का निर्माण करेगा अतः केंद्र अथवा राज्य सरकार के संबंधित विभागों में नौकरी आदि के लिए आवेदन करना हो अथवा किसी भी तरह का लाभ लेना हो तो यह  वर्ष उपयुक्त रहेगा नौकरी में स्थान परिवर्तन के भी योग बन रहे हैं  आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किए गए कार्यों की सराहना भी होगी | राशि से छठे भाव में मंगल शनि और लाभ भाव में राहु का होना आपको अति ऊर्जावान और उत्साही बनाएगा जिसके कारण कई बार आप निर्णय लेने में जल्दबाजी कर सकते हैं अतः विवादित मामलों से बचें जहां तक हो सके इसका सही उपयोग अपने कार्य व्यापार की सफलता के लिए लगाएं शत्रु परास्त होंगे और कोर्ट कचहरी के मामलों में निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत हैं | सितंबर से राहु के कर्क राशि में चले जाने के कारण आपके ग्रह गोचर में आया परिवर्तन आर्थिक तंगी ला सकता है उसके लिए अभी से सावधान रहें और अपव्यय बचें |

कन्या राशि- संवत्सर के आरंभ से ही आपके राशि स्वामी बुध छठे शत्रु भाव में बैठे हुए हैं अतः स्वास्थ्य के लिए यह योग थोड़ा सा प्रतिकूल रहेगा और अधिक कर्ज के लेनदेन से बचना पड़ेगा | यहांतक कि यदि आप किसी को कर्ज देना भी चाह रहे हों तो इस समय को टालें अन्यथा आपका दिया गया पैसा जल्दी वापस नहीं आएगा | मार्च के अंतिम सप्ताह से बृहस्पति का गोचर भी आपके लिए बेहतर हो जाएगा और विद्या भाव में तीन ग्रहों की युति शैक्षणिक एवं प्रतियोगिता के मामलों में कुछ चुनौतियां पेश कर सकती हैं अतः यदि आप विद्यार्थी हैं तो पढ़ाई के मामलों में लापरवाही न करें | संवेदनशील बने, प्रेम संबंधी मामलों में निराशा हाथ लगेगी इसलिए अपने कार्य पर ध्यान देंगे तो बेहतर रहेगा | संतान संबंधी चिंता आपको तंग कर सकती है किंतु नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग बन रहे हैं जुलाई से इन ग्रह स्थितियों में काफी सुधार आएगा और आपके सामने उपस्थित हुई विषम परिस्थितियां भी समाप्त होंगी | सूर्य का गोचर भी शादी विवाह से संबंधित मामलों में विलंब ला सकता है और दैनिक व्यापार में मंदी ला सकता है किंतु यह ज्यादा समय के लिए नहीं रहेगा परेशान ना हों | दशम भाव में उच्च राशि गत राहु आपको मिलने वाली कठिन चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करेगा आपकी प्रतिष्ठा को भी निखारेगा | राजनैतिक अथवा सामाजिक  मामलों के चुनाव से संबंधित निर्णय आपके पक्ष में होंगे अतः राजनीति में भी प्रवेश करने का यह बेहतरीन अवसर है | शासन सत्ता का पूर्ण उपयोग करते हुए अपने कार्य को संपन्न करें रोजगार की दिशा में किया गया रहा प्रयास अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा स्थान परिवर्तन न घबराएं |

तुला राशि- आपके राशि स्वामी शुक्र संवत्सर के आरंभ से ही केंद्र भाव में बैठे हुए हैं जिसके प्रभाव स्वरूप संवत्सर का आरंभ सुखद परिणाम दिलाने वाला सिद्ध होगा, विशेष करके यह समय व्यापारिक वर्ग के लिए उत्तम रहेगा | राशि से पराक्रम भाव में बृहस्पति का गोचर आपको साहसी तो बनाएगा किंतु अतिचारी होकर गुर के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही आपको मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के अंतिम सप्ताह तक के मध्य पारिवारिक कलह एवं मानसिक अशांति का सामना करना पड़ेगा इन सबके बावजूद आपके लिए मकान वाहन के क्रय का योग बना हुआ है यदि कहीं की भी यात्रा कर रहे हैं तो अपने सामान की रखवाली स्वयं करें और घर में चोरी होने से सावधान रहें | आपकी राशि के लिए राजयोग कारक ग्रह शनि भी अपने घर में चतुर्थ भाव में बैठे हुए हैं जिसके फलस्वरूप आपको माता पिता के स्वास्थ्य से कुछ चिंता तो होगी किंतु कार्य क्षेत्र में यह आपको सफल बनाएंगे | राजनीति अथवा राजनेताओं से गहरे संबंध रहेंगे इसलिए सरकार से जुड़े हुए कार्यों का निपटारा करने का सही समय है प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाले छात्र यदि नौकरी हेतु आवेदन करें तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी | यात्रा देशाटन का पूर्ण आनंद मिलेगा इसी पर आपका अत्यधिक व्यय भी  होगा यदि विदेशी नागरिकता के लिए वीजा आदि का आवेदन करना चाह रहे हो तो उस दृष्टि से वर्ष अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा | सितंबर माह से राहु और केतु का गोचर परिवर्तन कुछ कठिन चुनौतियां पेश कर सकता है अतः षड्यंत्र का शिकार होने एवं कोर्ट कचहरी के मामलों से बचना पड़ेगा |

वृश्चिक राशि- संवत्सर के आरंभ से ही आपके राशि स्वामी मंगल उच्च राशि गत होकर पराक्रम भाव में बैठे हुए हैं जिसके प्रभावस्वरूप यह योग आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है इन्हीं के साथ स्वराशि गत शनि भी बैठे हुए हैं जो आपको अदम्य साहसी एवं पराक्रमी बनायेंगे | आप जो भी निर्णय लेंगे, जैसा निर्णय लेंगे वह सफल रहेगा किंतु अति उत्साह में ऐसा निर्णय न लें जिसके कारण आपको सामाजिक विरोध का सामना करना पड़े | भाइयों से मतभेद का सामना करना पड़ सकता है इसलिए इसे ग्रह योग समझकर तूल न दें | धनभाव में बृहस्पति का बैठना आकस्मिक धन प्राप्ति के योग तो बनाएगा किंतु इनके मकर राशि में गोचर के समय यह प्रभाव क्षीण रहेगा | जून के अंतिम सप्ताह से पुनः वृहस्पति के धनु राशि में आ जाने के फलस्वरूप आर्थिक पक्ष और मजबूत हो जाएगा परिवार के बड़े बुजुर्गों से सहयोग मिलेगा | शुक्र का शत्रु भाव में जाना स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाएगा गुप्त शत्रुओं से बचें | कार्यक्षेत्र में आपके खिलाफ षड्यंत्र होते रहेंगे इसके लिए सावधान रहें उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर रखें, राजनेताओं से भी गहरे संबंध बनेंगे | समाज में पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी और आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किए गए कार्यों की सराहना होगी | नौकरी में पदोन्नति के लिए प्रयास करें स्थान परिवर्तन का प्रयास भी कर सकते हैं | अक्टूबर से ग्रह गोचर में आने वाला परिवर्तन आपकी कामयाबियों में बढ़ोतरी करेगा किंतु, शादी विवाह से संबंधित वार्ता में विलंब हो सकता है ससुराल पक्ष से मतभेद न
पैदा होने दें |

धनु राशि- संवत्सर के आरंभ से ही आपके स्वामी बृहस्पति अपनी ही राशि में विराजमान है जो आपके लिए अत्यधिक शुभ फलदाई सिद्ध होते रहेंगे किंतु, मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के अंतिम सप्ताह के मध्य यह अपनी नीच राशि 'मक'र राशि में चले जाएंगे जो आपके लिए कुछ अशुभ सिद्ध होंगे | जुलाई से पुनः यह अपनी राशि में आकर अति शुभ योगों का निर्माण करेंगे जिससे आपकी खोई प्रतिष्ठा वापस आएगी | झगड़े विवाद संबंधी मामलों का निपटारा होगा और आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा, उस समय इनकी दृष्टि आपके विद्या भाव पर पड़ेगी जिससे आपको शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी, संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी और संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग बनेंगे प्रेम विवाह करना चाह रहे हों तो योग अति उत्तम रहेगा | यही दृष्टि आपके लिए भाग्यभाव पर पड़ेगी अतः धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे और विदेश यात्रा का योग बनेगा | विदेशी नागरिकता के लिए वीजा आदि का आवेदन करना चाहें तो शुभ परिणाम आपको अधिक खुशी दे सकते हैं | शादी विवाह से संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी | धनभाव में शनि देव का गोचर अनवरत चलता रहेगा इसलिए आकस्मिक धन प्राप्ति के योग के साथ-साथ किसी महंगी वस्तु के क्रय का भी योग बनेगा | मकान वाहन से संबंधित क्रय का निर्णय ले रहे हो तो विलंब ना करें सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी | सितंबर से राहु और केतु का राशि परिवर्तन आपको शत्रुमर्दी बनाएगा फिर भी विवादों से बचें और कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही निपटा लें तो बेहतर रहेगा |

मकर राशि- आपकी राशि के स्वामी शनि स्वयं अपनी ही राशि मकर में विद्यमान हैं और अतिशुभ योगों का निर्माण कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप वर्ष आपके लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है अतः, अपने कार्य एवं नीले पूर्ण सावधानी के साथ करते हुए चलेंगे तो सफलता आपके कदम चूमेगी | इनके साथ उच्च राशि गत मंगल भी विद्यमान हैं यद्यपि शनि मंगल की युति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती किंतु कामयाबी की दृष्टि से यह ठीक तो है स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ अशुभ है अतः यात्रा सावधानीपूर्वक करें दुर्घटना से बचें और जोड़ों में दर्द की बीमारियों से बचते रहे | कुछ दिनों के लिए अतिचारी होकर वृहस्पति भी इनके साथ आ रहे हैं जिससे स्वास्थ्य में थोड़ा सा सुधार तो होगा किंतु आप थकान का अनुभव करेंगे और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है इसे ग्रह योग समझकर भूलने की कोशिश करें | जुलाई से पुनः बृहस्पति आपके भाव में चले जाएंगे जिससे आपको किसी और देश की नागरिकता के लिए आवेदन करना सफलता दिला सकता है धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे परिवार में मांगलिक कार्यों का शुभ अवसर आएगा इस राशि के योग कारक ग्रह शुक्र भी केंद्र गत हैं अतः मकान वाहन के क्रय का योग बनेगा | काफी दिनों से रुका हुआ आपका धन वापस आएगा यात्रा सावधानीपूर्वक करें, सामान चोरी होने से बचाएं संतान संबंधी चिंता से पूर्ण मुक्ति मिलेगी | व्यापारिक वर्ग के लिए भी यह समय अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होगा इसलिए अपने कार्य व्यापार के प्रति सजग रहें अधिक उधार देने से बचें | सितंबर से राहु केतु का राशि परिवर्तन भी आपको सहयोग करने लगेगा इसलिए संयम पूर्वक अपने कार्य में लगे रहें |

कुंभ राशि- संवत्सर के आरंभ से ही आपके राशि स्वामी शनि व्यय भाव में गए हैं यद्यपि वह अपनी ही राशि के हैं फिर भी आपको अत्यधिक संघर्ष के बाद ही आर्थिक लाभ पहुंचाएंगे भागदौड़ की अधिकता रहेगी जिसके परिणाम स्वरुप आपको आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है | कुछ दिनों बाद वृहस्पति के भी आ जाने से शनि मंगल वृहस्पति की युति आपकी और भी परीक्षा ले सकती है अतः वर्ष का आरंभ आपके अति संयम और सावधानी बरतने का है क्योंकि आपके बारहवें भाव में मंगल और दूसरे भाव में सूर्य के परिणाम स्वरूप आपकी राशि पर दबाव सर्वाधिक है इसलिए इस समय आप जिम्मेदारियों से जूझ रहे होंगे | सबसे योगकारक ग्रह शुक्र का गोचर अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा इसलिए साहस और पराक्रम वृद्धि होगी | यदि आप महिला हैं तो पुरुष और पुरुष हैं तो महिला आपके कार्यक्षेत्र में आपकी मदद करेंगे | जुलाई से वृहस्पति का शुभ गोचर आपको शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता दिलाएगा सोची समझी रणनीति भी कारगर रहेगी यदि आप प्रेम विवाह करना चाह रहे हों तो यह अवसर उपयुक्त रहेगा | नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग बन रहे हैं | गुरु की शुभ दृष्टि  प्रभाव स्वरूप रुके हुए कार्य बनेंगे नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा विदेश यात्रा का भी संयोग है | आरंभ में राहु एवं केतु का गोचर आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है पारिवारिक कलह दे सकता है और स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकता है इसलिए हर कार्य अथवा निर्णय बहुत सोच समझकर सावधानीपूर्वक लेना ही आपके लिए वर्ष पर्यंत श्रेयष्कर रहेगा | सितंबर माह से  कई ग्रहों के राशि परिवर्तन के प्रभाव स्वरूप विषम परिस्थितियों से कुछ हद तक मुक्ति मिलेगी किंतु तनाव की अधिकता एवं आर्थिक तंगी से इनकार नहीं किया जा सकता |

मीन राशि- वर्ष आरंभ से ही आपके राशि स्वामी बृहस्पति स्वराशि होकर दशम कर्मभाव में बैठे हुए हैं जिसके प्रभाव स्वरूप आपके कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा जो कार्य करना चाहें जिस तरह से करना चाहें उसमें सफलता मिलेगी शासन सत्ता का पूर्ण सुख मिलेगा और उच्चाधिकारियों से संबंध बना रहेगा | इस अवधि के मध्य यदि सरकार से संबंधित कोई निर्णय अपने पक्ष में करवाना चाहें तो अवसर अच्छा रहेगा | कुछ दिनों बाद आपके लाभभाव में गुरु शनि और मंगल की युति एक साथ हो जाएगी जो आपके लिए लाभदायक तो रहेगी किंतु, स्वास्थ्य की दृष्टि से इस पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है इसलिए सावधान रहें | अच्छी संगति करें नशाखोरी से दूर रहें | गुरु की दृष्टि इस अवधि के मध्य आपके संतान एवं पत्नी भाव पर पड़ रही है जिसके फलस्वरूप आप को संतान संबंधित चिंता से मुक्ति मिलेगी यदि किसी भी तरह की प्रतियोगिता में बैठना चाह रहे हों तो यह अवसर उपयुक्त रहेगा और सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी | विवाह संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी | ससुराल पक्ष से रिश्ते मजबूत बनेंगे नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति के भी योग बन रहे हैं | यही योग कार्य व्यापार के लिए अति उत्तम सिद्ध होगा | सितंबर से राहु केतु एवं बृहस्पति का राशि परिवर्तन भी आपके लिए वरदान सिद्ध होगा उस समय आपके अदम्य साहस एवं पराक्रम की वृद्धि होगी आपके द्वारा किए गए कार्य एवं लिए गए निर्णय की सराहना तो होगी किंतु अत्यधिक ऊर्जावान एवं उत्साही होने के फलस्वरूप आप अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो वर्ष आपके लिए बेहतरीन सिद्ध होगा |

नव संवत्सर 2077 शुभ रहेगा भारतवर्ष के लिए

नव संवत्सर 2077 शुभ रहेगा भारतवर्ष के लिए
25 मार्च बुधवार से प्रमादी  नामक नया विक्रम संवत्सर आरंभ हो रहा है जिसके राजा बुध एवं मंत्री चंद्र देव हैं | रूद्रबिशंति के 7वें एवं संवत्सरों
में सैंतालीसवें प्रमादी नामक संवत्सर भारतवर्ष और यहां की जनता के लिए मिलाजुला फल कारक सिद्ध होगा | इस संवत्सर में फसलों की पैदावार
तो अच्छी होती है किंतु समाज में प्रमाद की भी अधिकता रहती है और सांप्रदायिकबाद बढ़ता है | कहीं ना कहीं समाज में अविश्वास एवं और
अस्थिरता का माहौल रहता है किंतु, देशवासियों के लिए सुखद समाचार यह है कि इसवर्ष दसाधिकारियों में सूर्य, चंद्र, बुध, बृहस्पति और शनि का
प्रभाव अधिक रहेगा जिसके फलस्वरूप देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और न्याययिक व्यवस्था में मजबूती आएगी |
ग्रहों के राजा सूर्यदेव के पास सर्वाधिक तीन अधिकार हैं | जिनमें वर्षा के स्वामी, पुष्पों- फलों के स्वामी एवं सेनापति का भी अधिकार सूर्यदेव के
पास ही है | वर्षा के स्वामी सूर्य देव के होने के परिणाम स्वरूप भारतवर्ष में वर्षा अच्छी होगी जिससे फसलों की पैदावार बहुत अच्छी होगी और
कहीं ना कहीं इससे महंगाई पर नियंत्रण लगेगा | पुष्पों एवं फलों के स्वामी भी सूर्यदेव ही हैं अतः वृक्ष और खूब पौधे पुष्पित पल्लवित होते रहेंगे
जिससे फलों की पर्याप्त पैदावार होगी | उससे भी सुखद समाचार यह है कि इस वर्ष के सेनापति का अधिकार भी ग्रहों के राजा सूर्य देव के पास है |
जिसके परिणामस्वरूप शीर्ष नेतृत्व कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं रहेंगे और उसका पालन करवाने में पूरी शक्ति लगा देंगे | प्रतियोगी परीक्षाओं में
बैठने वाले विद्यार्थियों-प्रतियोगियों के लिए भी सुखद समाचार है कि इस वर्ष सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा
भारी संख्या में आवेदन दिए जाएंगे अतः आप अपनी पढ़ाई और प्रतियोगिता की तैयारी के लिए पूरी ताकत लगा दें | सूर्य देव शोध एवं अन्य
आविष्कारों के भी ग्रह है अतः इन्हीं के प्रभाव स्वरूप इस वर्ष अतिसंहारक परमाणु अस्त्रों एवं मिसाइलों का निर्माण एवं परीक्षण भी होगा | संसार
में बड़े देश इसे प्रतियोगिता के रूप में देखेंगे और नित्य प्रति कुछ न कुछ नया निर्माण करते रहेंगे |
मंत्री चंद्रमा का प्रभाव
वर्ष के राजा बुध और मंत्री चन्द्र के कारण शीर्ष नेतृत्व अपने मंत्रियों से बड़ी ही कठोरता से काम लेगा संभतः मंत्रियों को अवकास भी न मिले
ऐसा किन्तु, मंत्री चंद्रमा के ही प्रभावस्वरूप शीर्ष नेतृत्व अपने मंत्रियों की सलाह अधिक से अधिक मानेगा जिससे आपसी प्रसासनिक तालमेल
भी बढेगा | खाद्यान्य का उत्पादन जिनमें सभी प्रकार की फसलों सहित शहद एवं दुग्ध का उत्पादन बढेगा | महंगाई पर लगाम लगेगा और
किसानों द्वारा किये जा रहे आत्महत्या की घटनाओं में भी कमी आएगी और जनता को महंगाई से राहत मिल सकती है | कोषाध्यक्ष का अधिकार
बुध के पास होना व्यापारिक वर्ग के लिए सुखद संकेत तो है ही सरकारों को हो रहे राजस्व घाटे में भी कमी आएगी | विदेशी मुद्रा भण्डार में भी
बढ़ोत्तरी के संकेत हैं जिससे देश में आर्थिक पक्ष और मजबूत होगा | संवत में रसों के स्वामी शनि होने से जलस्तर घटने और वर्षा के जल का
संचय नहीं हो पाने के संकेत और चतुष्पदों में रोगादि वृद्धि के भी योग |
इस संवत में वृहस्पति के पास नीरसेश एवं सस्येश का अधिकार है, जिनके प्रभाव स्वरूप ठोस वस्तुओं और पीली वस्तुओं में में महंगाई बढ़ेगी,
विशेषकर के हीरे जवाहरात की मांग अधिक बढ़ेगी | वृहस्पति के पास भी दो अधिकार होने के प्रभाव शुरू सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा विकास
करेगी धार्मिक अनुष्ठानों में ही वृद्धि होगी लोगों का जप तप पूजा पाठ  के प्रति विश्वास और मजबूत होगा |
समय का वास वैश्य के घर में है अतः देश का आर्थिक पक्ष तो मजबूत होगा ही व्यापारिक वर्ग के लिए भी यह अति लाभकारी सिद्ध होगा |

हनुमान जयंती विशेष 08 अप्रैल बुधवार

हनुमान जयंती विशेष 08 अप्रैल बुधवार
कर्क राशि से दक्षिण के सनातन धर्मानुसार श्री हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा बुधवार 8 अप्रैल को है इसी दिन भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र ने
वानरराज केसरी और माता अंजना के घर पुत्र रूप में जन्म लिया | वैसे तो हनुमान जी का जन्मदिन एक सौरवर्ष में दो बार मनाया जाता है,
वो ऐसे कि कर्क राशि से दक्षिण के वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मानते हैं, जबकि कर्क राशि से उत्तर के वासी हनुमान जी का जन्म
कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मानते हैं किन्तु दोनों मतों के अनुसार इनका जन्म मध्यरात्रि महानिशीथ काल में हुआ ही मानते हैं शास्त्रों में दोनों
का उल्लेख मिलता है फिर भी यह त्यौहार समूचे भारतवर्ष में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है | भक्ति अवतार के रूप में भगवान शिव
के ग्यारहवें रूद्र हनुमान के जन्मोत्सव पर की जाने वाली पूजा का अमोघ फल होता है, कोई भी प्राणी श्रद्धा और विश्वास पूर्वक इनकी पूजा करता
है तो उसे किसी भी प्रकार के आरिष्ट का भय नहीं रहता | इन्हें पूजा में चोला चढाने के साथ-साथ सुगन्धित तेल और सिंदूर चढ़ाने का भी विधान
है | जयंती के उत्सव स्वरुप कई जगह श्रद्धालुओं द्वारा झांकियां निकाली जाती हैं, जिसमें उनके जीवनचरित्र का नाटकीय प्रारूप प्रस्तुत किया जाता
है, और बहुत से भक्त उन्हें छप्पन प्रकार का भोग भी लगाते हैं |
हनुमान जी बाल्यकाल में ही तरह-तरह की लीलायें करना आरंभ कर दिए | अधिक भूंख लगने के कारण एक बार वे आकाश उदय होते लाल सूर्य को
मधुर फल समझकर मुह में भर लिया | जिसके कारण संसार में अन्धेरा छा गया, इसे देवताओं पर आई बिपत्ति मानकर देवराज इन्द्र ने आंजनेय
पर अपने वज्र से प्रहार किया | जिसके प्रभाव से उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, उसी के कारण इनका नाम हनुमान पड़गया | इन्हें प्रसन्न करने का प्रमुख
उपाय है कि अपने घर में नित्यप्रति राम नाम का गुणगान करतेरहना | राम भक्तों की रक्षा करने के लिए हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं इन्होंने सभी
नौ ग्रहों को राक्षसराज रावण से मुक्त कराया था जिसके फलस्वरूप शनि सहित सभी ग्रहों का वरदान है कि, हनुमान के सच्चे भक्त को ग्रहों के
दोष-मारकेश अथवा मरणतुल्य कष्ट देने वाले ग्रहों की दशादि का दोष नहीं लगेगा | इनकी आराधना करते रहने पर सभी अशुभग्रह शुभफल देने को
विवश हो जाते हैं | इनमें तेज, धृति, यश, चतुरता, शक्ति, विनय, नीति, पुरुषार्थ, उत्तम बुद्धि, शूरता, दक्षता, बल, धैर्य और पराक्रम हमेशा विद्यमान
रहते हैं | अतः इनके स्मरण से मनुष्य में बुद्धि, बल, यश, धैर्य निर्भयता, आरोग्यता, विवेक और वाक्पटुता आदि गुण तत्क्षण आ जाते हैं | प्रसन्न होने
पर ये आठों सिद्धियों, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व  और नौ निधियों 'पद्म निधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि,
मुकुंदनिधि, नन्दनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्वनिधि" इनमें से कुछ भी दे सकते हैं |
इनका मंत्र- ऊँ हनुमते नम: अथवा, अष्टादश मंत्र 'ॐ भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा' का जप करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से तो
मुक्ति मिलती ही है साथ ही घर में, आफिस या दूकान में, शोरूम अथवा किसी भी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान में नित्यप्रति इनकी आराधना करने
से नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, मरण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, विद्वेषण आदि से पूर्णतः मुक्ति मिल जाती है |
पूजा का मुहूर्त- आज मंगलवार 07 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा ति​थि दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर आरम्भ होगी और कल 08 अप्रैल बुधवार को
सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक विद्यमान रहेगी, उसकेबाद बैसाख कृष्ण पक्ष आरम्भ हो जायेगा किन्तु, दिल्ली में सूर्य उदय सुबह 06 बजकर
03 मिनट होगा और पूर्णिमा सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक ही है भक्तों के लिए सुखद संयोग यह है कि इसी अवधि में मध्य लाभ और अमृत
चौघड़िया रहेगी, साथ ही बुध और चन्द्र की होरा भी विद्यमान रहेगी | अतः इस अवधि के मध्य श्री हनुमान जी की जयंती के हेतु किये जप-तप
पूजा-पाठ श्रृंगार आदि का समापन करना अत्यंत कल्याणकारी रहेगा |

रिक्ता तिथि का महत्व

रिक्ता तिथि का महत्व
सभी शुभकार्य आरंभ करते समय करें 'रिक्ता तिथि' का त्याग 
अपौरुषेय वेद के दक्षिणनेत्र ज्योतिष के मुहूर्तशास्त्र में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का महत्व सर्वोपरि रहता है, इन्हीं पाँचों के संयोग को पंचांग
कहते हैं | तिथियों की भी पाँच संज्ञा होती है जिन्हें नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा, के नाम से जाना जाता है | प्रतिपदा से लेकर अमावस्या/पूर्णिमा
तक की तिथियों में चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को रिक्तातिथि की संज्ञा दी गयी है | इनके गुण-दोष भी इन्हीं के नामो के अनुसार घटित होते हैं |
इनमें नन्दा तिथि में किसी भी तरह के विलासिता एवं मनोरंजन से सम्बंधित कार्य ही करना अति शुभ कहा गया है | भद्रा से स्वास्थ्य, शिक्षा-
प्रतियोगिता में सफलता व्यवसाय की शुरुआत, जयातिथि भी प्रतियोगिता और मुकेदमेबाजी के लिए तथा रिक्ता तिथि आपरेशन, दुश्मनों के खात्मा और
कर्ज से छुटकारा दिलाने और पूर्णा तिथि किये गए सभी संकल्पों एवं कार्यों को पूर्ण करने के लिए शुभ फलदायी होती है | इन पाँचों में रिक्ता का विचार
सर्वाधिक किया जाता है क्योंकि रिक्ता तिथि एकांत, शान्ति, सूनेपन और त्याग का कारक है | इस तिथि में जन्म लेनेवाला जातक दूसरों के लिए समर्पित
होता है उसका जीवन स्वयं के लिए नहीं समाज के लिए होता है | ऐसे व्यक्तियों में अधिकतर लोग साधू-सन्यासी होते हैं | रिक्ता तिथियों में क्रमशः चतुर्थी
के स्वामी गणेश, नवमी की शक्ति और चतुर्दशी के शिव हैं | फलित ज्योतिषग्रंथ मानसागरी के अनुसार 'रिक्ता तिथौ वितर्कज्ञः प्रमादी गुरु निन्दकः |
शस्त्रज्ञो मदहन्ता कामुकश्च नरो भवेत् || इस तिथि में जन्म लेने वाला जातक हर एक कार्य में अनुमान करने वाला, गुरुओं का निन्दक, शास्त्रों को जानने
वाला, दुसरे के अहंकार का नाश करने वाला एवं अत्यधिक कामी होता है | कार्य आरम्भ अथवा किसी भी मुहूर्त का विचार करते समय रिक्ता तिथि का
त्याग किया जाता है | इसमें आरम्भ किये गए कार्य निष्फल होते हैं किन्तु, विशेष ग्रह-नक्षत्र का संयोग होने पर इसमें भी शुभफल देने की शक्ति आ जाती
है, जैसे जिसदिन यह तिथि पड़ रही हो उसदिन शनिवार हो तो 'शनि रिक्ता समायोगे सिद्धयोगः वर्तते' इससे बनने वाले योग सभी दुष्प्रभावों को नष्ट करके
सिद्धि प्रदान करते हैं | इसी प्रकार रिक्ता तिथि को यदि गुरूवार हो यह संयोग तो बेहद कष्टकारी योग होता है | इसके अंतर्गत किये अधिकतर कार्य-व्यापर
में हानी तो होती ही है बल्कि अधिकतर मामलों में विफलता ही मिलती है | चैत्रमास में दोनों पक्ष की रिक्ता तिथि नवमी, ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की
चतुर्दशी, कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी, पौषमास में दोनो पक्षों की चतुर्थी, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मास शून्य तिथियां होती
हैं। | इन तिथियों शुभकार्य अथवा व्यापार आदि आरंभ करने से चाहिए, फिर भी किसी कारण वश कार्य करना अति आवश्यक हो गया हो तो यदि किसी
भी रिक्ता तिथि का और इससे बनने वाले योगों का विचार करना अति आवश्यक है | 

भगवान सूर्य का मेष राशि में प्रवेश, वैशाख संक्रांति वृक्षारोपण में श्रेष्ठ

भगवान सूर्य का मेष राशि में प्रवेश, वैशाख संक्रांति वृक्षारोपण में श्रेष्ठ
जगातात्मा के रूप में अवस्थित भगवान सूर्य मीन राशि की यात्रा समाप्त करके 13 अप्रैल को रात्रि 08 बजकर 21 मिनट पर उच्चराशि मेष में
प्रवेश कर रहे हैं | सूर्य जब अपने मित्र मंगल की राशि मेष में आते हैं तो सभी ग्रहों का अशुभ फल क्षीण कर देते हैं किन्तु इनकी दक्षिणायन
की यात्रा के समय देवप्राण भी क्षीण पडने लगते हैं और आसुरी शक्तियों का वर्चस्व बढ़ जाता है इसीलिए इस अवधि के मध्य सूखा-बाढ़, फसलों
के रोग, पशुओं की बीमारी और अन्य नानाप्रकार के रोग प्राणियों के सताने लगते हैं | इनके उत्तरायण को देवातावों का दिन और दक्षिणायन को
दैत्यों का दिन माना गया है | यात्रा के समय इनके रथ पर महीने-महीने के अनुसार देवतागण आरोहित होते हैं | चैत्र और बैशाख माह में सूर्य के
पर धाता, अर्यमा दो देव, पुलस्त्य तथा पुलह नामक दो ऋषि प्रजापति, वासुकी तथा संकीर्ण नामक दो सर्प, गायन विद्या के विशारद तुम्बुक तथा
नारद नामक दो गन्धर्व, कृतस्थला तथा पुन्जिकस्थली नामक दो अप्सराएं, रथकृत तथा रथौजा नामक दो सारथी, हेती तथा प्रहेति नामक दो राक्षस
सूर्य मंडल में निवास करते हैं | ये चराचर जगत की आत्मा हैं, इनके वगैर सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जासकती | इनकी पत्नी का नाम संज्ञा
और दूसरी पत्नी का नाम छाया है | इनके अनेकों पुत्रों में यम और शनि तथा कन्याओं में यमुना और भद्रा श्रेठ और तपस्वी हैं जिनमें यम को
मरणोंप्रांत जीव को दंड देने का अधिकार और शनि तथा भद्रा को जीवलोक में दंड देने का अधिकार प्राप्त हैं | इनका श्रेष्ठतम मंत्र ॐ नमो
खखोल्काय शीघ्र प्रभावकारी है | किसी भी जातक की जन्मकुंडली में अकेले सूर्य ही बलवान हों तो सभी ग्रहों का का दोष शमन कर देते हैं |
भगवान कृष्ण ने एक हजार वर्ष तपस्या करके सूर्य से सूर्यचक्र वरदान स्वरुप प्राप्त किया था | भगवान राम नित्य-प्रति सूर्य की उपासना करते थे |
महर्षि अगस्त ने उन्हें सूर्य का प्रभावी मंत्र आदित्य ह्रदयस्तोत्र की दीक्षा दी थी | ब्रह्मा जी इन्हीं के सहयोग से श्रृष्टि का सृजन करते हैं | मत्स्य पुराण
के अनुसार शिव का त्रिशूल, नारायण का चक्रसुदर्शन और इंद्र का बज्र भी सूर्य के तेज से ही बना | इनकी पूजा सभी देवी देवाताओं से सरल है, आप
कहीं भी रहें केवल एक अंजलि जल का अर्घ्य देने से भी सूर्य कृपा प्राप्त कर सकते है | प्रतिदिन उदय होते ही इंद्र पूजा करते हैं, दोपहर के समय
यमराज, अस्त के समय वरुण और अर्धरात्रि में चन्द्रमा पूजन करते हैं | विष्णु, शिव, रूद्र, ब्रह्मा, अग्नि, वायु, ईशान आदि सभी देवगण रात्रि की
समाप्ति पर ब्रह्मवेला में कल्याण के लिए सदा सूर्य की ही आराधना करते हैं | इन सभी देवों में सूर्य का ही तेज व्याप्त है, किसी भी जातक की
जन्मकुंडली में उच्चराशिगत सूर्य जातक को धनी और राजयोगी
बनाते हैं | ये सिंह राशि के स्वामी हैं तुला राशि की यात्रा के समय ये नीचराशिगत संज्ञक होते हैं और मेष राशि की यात्रा पर उच्च के होते हैं |
मंदार पुष्प की माला इन्हें सबसे अधिक प्रिय है, इसके अतिरिक्त इन्हें कनेर, गुडहल, बकुल, मल्लिका, के पुष्प ताबे के पात्र में जल के साथ अर्घ्य देने
से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं | वैशाख संक्रांति की यात्रा के मध्य वृक्षारोपण से संसार के सभी भोंगो को प्राप्त किया जा सकता है अतः सूर्य की
आराधना और वृक्षारोपण जीवन में कर्ज से मुक्ति उत्तम विद्या और सन्तान प्रप्ति के लिए सहायक सिद्ध होते हैं  वास्तु जन्य दोष की शान्ति के लिए
अपने दरवाजे पर अथवा घर के सामने श्वेत अर्क (सफ़ेद मंदार) का वृक्ष लगाने से वंश वृद्धि होती है और घर नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है |

कालसर्प योग अलग व्यक्तित्व की निशानी

कालसर्प योग अलग व्यक्तित्व की निशानी
ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में कालसर्प योग अथवा सर्प योग के विषय में विस्तार से उल्लेख मिलता है | भारतीय संस्कृति में नागों का विशेष महत्व है | प्राचीन काल से ही नाग पूजा की जाती रही है यहांतक कि इनके लिए निर्धारित 'नाग पंचमी' का पर्व पूरे देश में पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाया जाता है | यह योग
तब बनता है जब राहु और केतु के 180 अंश के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं | फलित ज्योतिष में कहा गया है कि ‘शनिवत राहू, कुजवत केतु’अर्थात राहु का प्रभाव शनि के जैसा और केतु का प्रभाव मंगल के जैसा होता है | राहू के शरीर के दो भागों में सिर को राहु तथा धड़ को केतु माना गया है ये छाया ग्रह हैं
और जिस भाव में होते हैं अथवा जहां दृष्टि डालते हैं उस राशि, राशीष एवं भाव में स्थित ग्रह को अपनी विचार शक्ति से प्रभावित कर क्रिया करने को प्रेरित
करता है | केतु जिस भाव में बैठता है उस राशि, उसके भावेश, केतु पर दृष्टिपात करने वाले ग्रह के प्रभाव में क्रिया करता है | केतु को मंगल के समान
विध्वंस कारी माना जाता है ये अपनी महादशा एवं अंतर्दशा में व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर सुख समृद्धि का ह्रास करता है | ज्योतिष के अनुसार राहु
जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं यदि वह ग्रह हो अंशात्मक रूप से राहू से कमजोर है राहू अपना प्रभाव स्वयं देने लगते हैं और साथ में बैठे ग्रह को निस्तेज
कर देते हैं | इस योग का विवेचन करते समय राहु का बाया भाग काल संज्ञक है तभी राहु से केतु की ओर की राशियाँ ही
कालसर्प योग की श्रेणी में आती हैं |
यह योग आपकी जन्मकुंडली में ऊर्जा शक्ति का वो अद्भुत-अक्षुण भण्डार है जिसे जप-तप, श्रीरुद्राभिषेक अथवा शांति द्वारा सही दिशा देने पर इसके
दोष को योग में बदला जा सकता है, क्योंकि यह योग हमेशा कष्ट कारक नहीं होते, कभी-कभी तो यह इतने अनुकूल फल देते हैं कि व्यक्ति को
विश्वस्तर पर न केवल प्रसिद्ध बनाते हैं अपितु संपत्ति वैभव, नाम और सिद्धि के देने वाले भी बन जाते हैं | जन्म कुंडली में 12 प्रकार के प्रबलतम
कालसर्प योग कहे गए हैं जो इस प्रकार हैं |
अनंत कालसर्प योग- लग्न से सप्तम भाव तक बनने वाले इस योग के प्रभाव स्वरूप जातक मानसिक अशांति जीवन में अस्थिरता भारी संघर्ष का सामना
करना पड़ता है इस योग की शांति के लिए बहते जल में चांदी के नाग नागिन का जोड़ा प्रवाहित करें |
कुलिक कालसर्प योग- द्वितीय से अष्टम स्थान तक पड़ने वाले इस योग के कारण जातक कटु भाषी होता है कहीं ना कहीं उसे पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है किंतु राहु बलवान हो तो आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनते हैं |
वासुकी काल सर्प योग- यह योग तृतीय से नवम भाव के मध्य बनता है, जिसके प्रभाव स्वरूप भाई बहनों से मनमुटाव साहस पराक्रम में वृद्धि और कार्य
व्यापार में बड़ी सफलता के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ता है |
शंखपाल कालसर्प योग- यह योग चतुर्थ से दशम भाव के मध्य निर्मित होता है इसके प्रभाव से मानसिक अशांति एवं मित्रों तथा संबंधियों से धोखा मिलने
का योग रहता है शिक्षा प्रतियोगिता में कठोर संघर्ष करना पड़ता है |
पद्म कालसर्प योग- पंचम से एकादश भाव में राहु केतु होने से यह योग बनता है इसके कारण संतान सुख में कमी और मित्रता संबंधियों से विश्वासघात
की संभावना रहती है | जातक को अच्छी शिक्षा के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है |
महापदम कालसर्प योग- छठें से लेकर बारहवें भावतक पड़ने वाले योग में जातक ऋण, रोग और शत्रुओं से परेशान रहता है | कार्यक्षेत्र में शत्रु हमेशा षड्यंत्र
करने में लगे रहते हैं, उसे अपने ही लोग नीचा दिखाने में लगे रहते हैं |
तक्षक कालसर्प योग- सप्तम से लग्न तक राहु-केतु के मध्य पड़ने वाले इस योग के प्रभाव स्वरूप जातक का दांपत्य जीवन कष्ट कारक करता है काफी परिश्रम के बाद सफलता मिलती है | स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है |
कर्कोटक कालसर्प योग- अष्टम भाव से द्वितीय भाव तक के योग में जातक आर्थिक हानि अधिकारियों से मनमुटाव एवं प्रेत बाधाओं का सामना करता है | उसके अपने ही लोग हमेशा षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं |
शंखनाद कालसर्प योग- यह योग नवम से तृतीय भाव तक निर्मित होता है | इस योग के प्रभावस्वरूप कार्य बाधा, अधिकारियों से मनमुटाव, कोर्ट कचहरी
के मामलों में उलझाने एवं अधिकाधिक विदेश प्रवास और यात्राएं कराता है |
पातक कालसर्प योग- दशम से चतुर्थ भाव तक बनने वाले इस योग में माता पिता के स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ता है |
नौकरी में स्थान परिवर्तन और अस्थिरता की अधिकता रहती है |
विषधर कालसर्प योग- ग्यारहवें भाव से लेकर पंचम भाव तक के मध्य राहु-केतु के अंदर पड़ने वाले ग्रहों के द्वारा यह योग निर्मित होता है | इसमें नेत्र पीड़ा
हृदय रोग और बड़े भाइयों से संबंध की दृष्टि से अच्छा नहीं कहा जा सकता |
शेषनाग कालसर्प योग- द्वादश से लेकर छठे भावतक के मध्य पड़ने वाले इस योग के प्रभावस्वरूप जातक को बाएँनेत्र विकार और कोर्ट कचहरी के मामलों
में चक्कर लगाने पड़ते हैं जिसके प्रभाव स्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है |

राम नवमी विशेष, श्री राम की जन्मकुंडली का विश्लेषण

राम नवमी विशेष, श्री राम की जन्मकुंडली का विश्लेषण
शनि और मंगल के प्रभाव से त्यागी हुए राम, राहु के कारण पतन की राह पर दौड़ा रावण
भगवान राम का जन्म कर्क लग्न और कर्क राशि में ही हुआ | इनके जन्म के समय लग्न में ही गुरु और चंद्र, तृतीय पराक्रम भाव में राहु, चतुर्थ माता
के भाव में शनि, और सप्तम पत्नी भाव में मंगल बैठे हुए हैं जबकि नवम भाग्यभाव में उच्चराशिगत शुक्र के साथ केतु, दशम भाव में उच्च राशि का
सूर्य और एकादश भाव में बुध बैठे हुए हैं |
रावण की जन्मकुंडली सिंह लग्न की है, कहीं-कहीं रावण की जन्मकुंडली का तुला लग्न में जन्म लेने का वृतांत भी आया है किंतु सिंह लग्न की
कुंडली का प्रभाव रावण के जीवन में सर्वाधिक रहा है | अतः फलित ज्योतिष के विद्वान रावण की जन्म कुंडली को सिंह लग्न का ही मानते हैं |
रावण की कुंडली के लग्न में ही सूर्य और वृहस्पति, द्वितीय भाव में उच्च राशि पर बुध, तृतीय पराक्रम भाव में उच्च राशि में शनि, और पंचम
विद्या भाव में राहु बैठे हुए हैं, छठे भाव में मंगल, एकादश लाभ भाव में केतु  और द्वादश भाव में चंद्र और शुक्र बैठे हैं दोनों जन्म कुंडलियों में
बड़े-बड़े लोगों की भरमार है |
भगवान राम की जन्मकुंडली में श्रेष्ठतम गजकेसरी योग, हंस योग, शशक योग, महाबली योग, रूचक योग, मालव्य योग, कुलदीपक योग, कीर्ति योग
सहित अनेकों योगों की भरमार है | लंकापति रावण की जन्म कुंडली में सूर्य, बुध, शनि, मंगल और चंद्रमा अपने अपने उच्च भाव में बैठे हुए हैं |
श्री राम की कुंडली में बनी युवकों पर ध्यान दें चंद्रमा और बृहस्पति का एक साथ होना ही जातक धर्म और वीर वेदांत में रुचि लेने वाला होता है |
बृहस्पति की पंचम विद्या भाव पर अमृत दृष्टि, सप्तम पत्नी भाव पर मार्ग दृष्टि और नवम भाग्य भाव पर  अमृत दृष्टि पढ़ रही है | जिसके
फलस्वरूप भगवान राम की कीर्ति और भाग्योदय का शुभारंभ 16वें वर्ष में ही हो गया था, और पूर्ण भाग्योदय 25 वर्ष से आरंभ हुआ |
पराक्रम भाव में उच्च राशिगत राहू ने इन्हें शत्रुमर्दी और पराक्रमी बनाया तो चतुर्थ भाव में उच्चराशि का शनिदेव भी चक्रवर्ती योग निर्मित कर रहे हैं |
माता के शनि होने के कारण मात्र सुख में कमी दर्शा रहे हैं जबकि जन्म कुंडली में बने हुए अन्य योग परम शुभ फलदाई हैं | सप्तम पत्नी भाव गुरु की
नीच और मारक दृष्टि तथा मंगल का उच्च राशि का तो होना दांपत्य जीवन में कमी दिखाता है | जो स्वयं भगवान राम के जीवन में भी दांपत्य जीवन के
सुख की अल्पता का द्योतक है | भौतिक सुख के कारक शुक्र का केतु के साथ बैठना और राहु की दृष्टि का परिणाम ही है कि भगवान राम कहीं न कहीं
भौतिक सुखों से दूर रहे | चर्चित विषय रहा सूर्य का दशम भाव में बैठना और शनि का चतुर्थ माता के भाव में बैठना परस्पर एक-दूसरे पर मारक दृष्टि का
परिणाम रहा कि भगवान राम के जीवन में पितृ वियोग अधिक रहा | यदि हम गौर करें तो उच्च राशि का शनि भगवान राम की जन्म कुंडली के मारकेश
भी हैं जो सुख भाव में बैठे हैं इसलिए यह कहावत सत्य सिद्ध होती है कि राम को किसी ने हंसते हुए नहीं देखा | मंगल और शनि देव भगवान राम का
जीवन अति संघर्षशील बनाया |
रावण की जन्मकुंडली में जितने भी ग्रह अपने अपने घर में बैठे हैं वह अपने शुभ प्रभाव में ही बढ़ोतरी कर रहे हैं|  सूर्य और बृहस्पति का लग्न में बैठना
रावण की महान विद्वान होने की तरफ संकेत दे रहा है | किन्तु पंचम विद्या भाव में राहु से ग्रसित है अतः संतान संबंधी चिंता की वृद्धि का परिचायक तो
है ही जातक बुद्धि का प्रयोग गलत एवं अनैतिक कार्यों में करता है | फलित ज्योतिष में यदि किसी भी जातक की जन्मकुंडली में विद्या भाव में राहू हो और
शत्रुक्षेत्री हो तो वह व्यक्ति अपने विवेक का उपयोग गलत कार्यों में करता है | बड़े-बड़े ग्रह योगों के बावजूद राहू ने रावण की बुद्धि भ्रमित कर दी इसलिए
रावण का पतन हुआ |

बृहस्पति, शनि और केतु के मिलन, बृषभ, कन्या एवं मकर राशियों भारी, किन्तु इनके लिए वरदान

बृहस्पति, शनि और केतु के मिलन, बृषभ, कन्या एवं मकर राशियों भारी, किन्तु इनके लिए वरदान
लगभग 12वर्ष में एकबार शनि और बृहस्पति का मिलन एक ही राशि में होता है | वर्षोंबाद इस बार इनका मिलन गुरु की राशि धनु में ही होगा |
शनि एवं केतु वहाँ पहले से ही विराजमान हैं अब गुरु के भी पहुचने से तीनों ग्रह एकासाथ हो जायेंगे, इनपर भी राहु एवं मंगल की भी पूर्ण दृष्टि पड़ रही
है | 10 नवंबर को मंगल के तुला राशि में प्रवेश के साथ इनकी दृष्टि समाप्त हो जायेगी | यही संयोग इनके प्रभाव में और परिणाम में आकस्मिकता को
जन्म देगा जो 26 जनवरी 2020 को शनि के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही समाप्त होगा | मंगल की दृष्टि भी 10 नवंबर को तुला राशि में प्रवेश
के साथ ही समाप्त हो जाएगी | शनि मृत्यु लोक में न्याय के देवता है और बृहस्पति शिक्षण कार्य, लेखन, प्रकाशन, धर्म-अध्यात्म ज्ञान आदि के देवता
है | इनकी युति सन्यासियों के लिए भारी पड़ती है अतः आध्यात्मिक जगत के लिए इन तीन ग्रहों का मिलन भारी रहने वाला है | व्यापारिक जगत के
लिए यह युति बेहतर साबित होगी और शनि-केतु की अशुभता में भी कमी आएगी | किन किन राशियों पर यह संयोग भारी पड़ने वाला है इसका
ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं |
मेष राशि- आपकी राशि के भाग्यभाव में यह युति कई महीनों से चली आ रही कार्य बाधा दूर करेगी, लाभ मार्ग प्रशस्त होगा | विदेश यात्रा अथवा विदेशी
व्यक्तियों के सहयोग से लाभ होगा | व्यापारिक एवं विद्यार्थीवर्ग के लिए यह युति अपेक्षाकृत बेहतर साबित होगी |
वृषभ राशि- आपके अष्टम भाव में इन ग्रहों का मिलन और दृष्टि स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है | धोखाधड़ी और षड्यंत्र का शिकार होने से बचें |
बेहतर रहेगा कि कार्य निपटाए और सीधे घर आयें | कोर्ट कचहरी से संबंधित मामले कोर्ट भी बाहर ही सुलझाना बेहतर रहेगा |
मिथुन राशि- सप्तम भाव में ये युति दांपत्य जीवन के लिए थोड़ा अशुभ साबित हो सकती है किंतु शादी-विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी | व्यापार के क्षेत्र में
उत्तरोत्तर विकास होता जाएगा नौकरी में पदोन्नति और स्थान परिवर्तन के भी योग बन रहे हैं चाहें तो लाभ उठा सकते हैं |
कर्क राशि- कर्क राशि वालों के लिए शत्रुभाव में ये युति स्वास्थ्य के लिए तो प्रतिकूल है किंतु, कोर्ट कचहरी के मामलों के लिए अपेक्षाकृत बेहतर है| अपनी जिद
और आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य में लगे रहें, माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान दें गुप्त शत्रुओं से बचें |
सिंह राशि- राशि से मूलत्रिकोण में तीन ग्रहों की युति शिक्षा के क्षेत्र में तो बेहतरीन सफलता दिलाएगी किंतु प्रेम संबंधी मामलों में कुछ निराशा के योग | किसी
भी प्रतियोगिता में बैठना चाहें तो बेहतर, भाग्य उन्नति और विदेश यात्रा के भी योग, मांगलिक कार्यों पर व्यय होगा |
कन्या राशि- राशि से चतुर्थ भाव में त्रिग्र्ही युति आरंभ में कुछ मानसिक परेशानियां तो देंगी और मित्र भी नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे किंतु, हताश न हों शीघ्र
ही इनसब में सुधार आ जाएगा | मकान-वाहन के क्रय एवं नौकरी में उन्नति के योग, यात्रा के समय सामान चोरी होने से बचाएं |
तुला राशि- आपके पराक्रम भाव में ये युति और अन्य ग्रहों की दृष्टि के परिणामस्वरुप साहस और पराक्रम में वृद्धि तो होगी ही आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं
किए गए कार्यों की सराहना भी होगी | स्वभाव में उग्रता न लाएं परिवार में मेलजोल बनाकर रखें और उच्चाधिकारियों से नजदीकियां बढ़ाएं |
वृश्चिक राशि- आपकी राशि से धनभाव में ये युति मिलाजुला फल देगी | आकस्मिक धनप्राप्ति एवं स्थान परिवर्तन के भी योग | वाणी कुशलता के बल पर कठिन
हालात पर भी नियंत्रण पा लेंगे | इन सबके बावजूद कुछ मानसिक अशांति बढ़ सकती है इसे ग्रह योग समझकर भूलने की कोशिश करें |
धनु राशि- आपकी राशि में इनकी युति के प्रभावस्वरूप अशुभता में कमी आएगी, कोई भी कार्य जब तक पूर्ण ना करें उसे सार्वजनिक ना करें यात्रा देशाटन का पूर्ण
सुख मिलेगा | सरकार से संबंधित किसी भी कार्य का निपटारा करना चाह रहे हों तो शीघ्र करें, नए अनुबंध की प्राप्ति के योग बन रहे हैं |
मकर राशि- व्यय भाव में ये संयोग योग अपव्यय की तरफ प्रेरित करेगा अतः अधिक खर्च से बचें | आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है कष्टकारक यात्रा
यका भी योग है किन्तु ये ज्यादा दिन नहीं रहेगा | 10 नवंबर के बाद इसमें सुधार आ जाएगा स्वास्थ्य का ध्यान रखें नेत्र विकार से बचें |
कुंभ राशि- राशि से लाभ भाव में इस योग के प्रभावस्वरूप दिया गया धन वापस आएगा | नया व्यापार आरंभ करना चाह रहे हों तो परिस्थितियां अनुकूल हैं परिवार में बड़े भाइयों से मधुर संबंध बनाकर रखें, संतान प्राप्ति अथवा प्रादुर्भाव का भी योग है, विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी |
मीन राशि- दशम भाव में तीन ग्रहों की युति अप्रत्याशित परिणाम वाली सिद्ध होगी कार्यक्षेत्र का विस्तार तो होगा ही होगा स्थान परिवर्तन एवं पद और गरिमा की वृद्धि के योग बन रहे हैं  | सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि धार्मिक एवं मांगलिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे |

बृहस्पति का मकर राशि में प्रवेश,शनि और मंगल के साथ होगी युति
देवगुरु बृहस्पति आज रात्रि पश्चात 3बजकर 48 मिनट पर अतिचारी होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जहां ये पहले से ही विराजमान शनि और
मंगल के साथ ही युति करेंगे | अपनी मकर राशि की 3माह की यात्रा के पश्चात गुरु वक्री अवस्था में पुनः 30 जून की प्रातः धनु राशि में प्रवेश
करेंगे | यद्यपि बृहस्पति अतिचारी भाव में अपनी नीच राशि में प्रवेश कर रहे हैं किंतु शनिदेव का अपने घर में विराजमान रहने से इनका नीच
भंगयोग बनेगा और यहीं पर मंगल भी अपनी उच्चराशि में विराजमान है जिसके फलस्वरूप त्रिग्रही योग का निर्माण होगा | स्वतंत्र भारत की वृषभ
लग्न की जन्म कुंडली में बृहस्पति नवम भाग्य भाव में प्रवेश करेंगे और शुक्र के साथ नव-पंचम योग बनाएंगे | इस भाव में जाने से बृहस्पति की
अमृत दृष्टिभारत के लग्नभाव पर पड़ेगी, जिसके फलस्वरूप काफी प्रबल संभावना है कि भारत में बढ़ रहे कोरोना जैसी महामारी से कुछ राहत मिल
सके | किंतु ऐसी भी संभावना है कि क्योंकि, गुरु के राशि परिवर्तन के परिणामस्वरूप केतु अपनी उच्चराशि धनु में अकेले पड़ जाएंगे जो भारत की
लग्न कुंडली से अष्टम मृत्यु भाव में और राशि कर्क से छठे ऋण रोग, एवं शत्रु भाव में पहले से विराजमान हैं, इनके अति अशुभ प्रभाव से कहीं
यह महामारी आमजनता में न फैल जाए क्योंकि केतु जनता के भी कारक हैं इसलिए आज के ग्रह गोचर में आया हुआ यह परिवर्तन भारतवर्ष और
यहां की जनता के लिए दशा दिशा तय करेगा | हो सकता है कि आने वाले  सप्ताह में कोरोना के मरीजों की संख्या में कमी आए और यह भी हो
सकता है कि मरीजों की संख्या में एकाएक वृद्धि होने शुरू हो जाए क्योंकि ऐसी महामारी पर कोई सत्य परक् ज्योतिषीय शोध नहीं हुआ है इसलिए
जनमानस को चाहिए कि इस महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा बताए गए सभी नियमों का पालन करें और जहांतक संभव हो अपने घर में
ही सुरक्षित रहें | मंगल, गुरु और शनि की एक साथ युति का फलित ज्योतिष के अनुसार आम जनमानस पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय
विश्लेषण करते हैं |
मेष राशि- राशि से दशम कर्म भाव में यह युति मिलाजुला फल प्रदान करेगी, अघोषित कर्फ्यू के बावजूद घर बैठकर भी कुछ नया कर सकते हैं |
शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा माता पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें | आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी इसलिए उच्च
अधिकारियों से मधुर संबंध बनाए रखें | 
बृषभ राशि- राशि से भाग्य भाव में यह युति आने वाले कुछ महीनों में भाग्य वृद्धि की दृष्टि से बेहतर साबित होगी | धर्म-कर्म और दान पूर्ण में
बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे | संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी एवं संतान प्राप्ति अथवा प्रादुर्भाव का भी योग बन रहा है, आकस्मिक धन प्राप्ति
के योग, सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे |
मिथुन राशि- राशि से अष्टम भाव में इन ग्रहों की युति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती कोर्ट कचहरी के मामलों से बचें झगड़े विवाद से दूर रहें |
स्वास्थ्य का ध्यान रखें, दवाओं के रिएक्शन से बचें | कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें | भागदौड़ पर भी खर्च होगा परिवार के बड़े बुजुर्गों
से आशीर्वाद लेते रहें |
कर्क राशि- राशि से सप्तमभाव में यह ग्रह युति दांपत्य जीवन में कड़वाहट ला सकती है, शादी विवाह संबंधी वार्ता में भी कुछ विलंब हो सकता है |
ससुराल पक्ष से रिश्ते बिगड़ने न दें दैनिक व्यापार में लाभ की उम्मीद बढ़ेगी | केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्रमुख प्रतिष्ठानों में सर्विस हेतु आवेदन
करना बेहतर रहेगा |
सिंह राशि- राशि से छठे शत्रुभाव में यह ग्रह-गोचर रोग और शत्रुओं से मुक्ति दिलाएगा, स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें ननिहाल पक्ष से रिश्ते न बिगड़ने
दें, काफी दिनों से रुका हुआ आपका कार्य बनेगा, कोर्ट कचहरी के मामले में निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत फिर भी जहांतक संभव हो झगड़े
विवाद से बचें |
कन्या राशि- राशि से पंचमभाव में ये ग्रह गोचर विद्यार्थियों के लिए बेहतर सिद्ध होगा | शिक्षा-प्रतियोगिता में सफलता की संभावना बढ़ेगी किंतु अच्छे
अंक प्राप्ति के लिए और मेहनत करें | कार्य-व्यापार में उन्नति से लाभ मार्ग प्रशस्त होगा, समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी, संतान संबंधी चिंता दूर होगी
संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग |
तुला राशि- राशि से चतुर्थभाव में यह गोचर मिलाजुला फल देगा पारिवारिक कलह से मानसिक अशांति बढ़ सकती है | झगड़े विवाद से बचें, माता-पिता
के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, यदि यात्रा कर रहे हैं तो सामान चोरी होने से बचाएं | अत्यधिक भागदौड़ के बावजूद मकान एवं वाहन के क्रय का योग,
लाभ उठाएं |
वृश्चिक राशि- राशि से पराक्रम भाव में ये त्रिग्रही योग आपके साहस एवं पराक्रम की वृद्धि करेगा अपनी उर्जा शक्ति के बल पर विषम हालात को भी
सामान्य कर लेंगे, किंतु परिवार में बड़े भाइयों से मतभेद ना पैदा होने दें | योजनाओं को जबतक पूर्ण कर लें उसे सार्वजनिक ना करें विदेशी व्यक्ति
अथवा विदेशी कंपनी से लाभ |
धनु राशि- राशि से धनभाव में बना हुआ या योग आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा | आकस्मिक धन प्राप्ति के योग बनेंगे, किसी महंगी वस्तु का क्रय कर
सकते हैं किंतु परिवार में आपसी मतभेद बढ़ेगा इसलिए अपनी जीत एवं आवेश को नियंत्रण रखते हुए हालात को बिगड़ने न दें स्वास्थ्य विशेष करके
दाहिनी आंख का ध्यान रखें |
मकर राशि- राशि में बने त्रिग्रही ग्रह-गोचर बेहतरीन सफलता देगा किंतु, आपके स्वभाव में उग्रता आ सकती है इसलिए आवेश में आकर किया गया
कार्य नुकसान दे सिद्ध हो सकता है | सरकारी सर्विस हेतु आवेदन करना सफलता दायक रहेगा, अचल संपत्ति पर बाय करेंगे कोई बड़ी सामाजिक
जिम्मेवारी मिलेगी |
कुंभ राशि- राशि से व्ययभाव में बना हुआ यह योग अच्छा नहीं कहा जा सकता, अत्यधिक खर्च से आर्थिक तंगी का के योग | यात्रा सावधानीपूर्वक
करें दुर्घटना से बचें | जहांतक हो सके कोर्ट कचहरी के मामले भी बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा | गोचर अत्यधिक सावधानी बरतने की तरफ
संकेत कर रहा है |
मीन राशि - राशि से लाभभाव में यह ग्रह गोचर विषम परिस्थितियों से छुटकारा दिलाएगा | आय के साधन बढ़ेंगे किंतु परिवार के बड़े भाइयों से
मतभेद हो सकता है | विद्यार्थियों के लिए शिक्षा-प्रतियोगिता में अच्छी सफलता के योग बन रहे हैं संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी | अच्छी
संगति करें, नशाखोरी से बचें |
शनि ने राजा दशरथ को दिया वरदान, जो आएगा आपके काम |
प्राणियों की जन्मकुंडली में जब शनिदेव की साढ़ेसाती, लघु कल्याणी ढैया, मारकदशा, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्मदशा आदि का
आरंभ होता है तो वह मानसिक, सामाजिक, स्वास्थ्य एवं आर्थिक परेशानियों से अपने आप को घिरा हुआ पाता है | इसीके फलस्वरूप वह
इधर-उधर भटकता हुआ इनसे बचने के लिए नाना प्रकार के प्रयोजन करने लगता है | शनिदेव की इनसभी स्थितियों एवं दशाओं से बचने
के लिए प्राणी यदि स्वयं दशरथ जी द्वारा की गयी शनिस्तुति का पाठ करे तो वह इनके अशुभ प्रभावों बचा रहेगा, इस शनिस्तुति की रचना
के पीछे सुंदर घटना छिपी हुई है |
अयोध्या पर शनि संकट
पौराणिक कथा है कि महाराजा दशरथ के काल में जब शनिदेव कृतिका नक्षत्र के अंतिम चरण का भोग संपन्न करके रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश
करने वाले थे तो अयोध्या के सभी ज्योतिषविद्वान चिंतित हो उठे क्योंकि, शनिदेव की ऐसी गोचर गति ‘शकट योग’ का निर्माण करती है,
जिसके परिणाम स्वरूप प्राणियों के लिए पृथ्वी पर दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप बढ़ जाता है | सभी ज्योतिषियों ने अयोध्या पर आने वाले
इस 'शनिशकट' संकट के विषय में राजा दशरथ को अवगत कराया |
दशरथ गुरु वशिष्ठ संवाद
राजा गुरुदेव वशिष्ठ को बुलाकर इसका उपाय पूछा तो वशिष्ठ जी ने कहा, यह योग ब्रह्मा आदि से भी असाध्य है इसका कोई परिहार नहीं
कर सकता | गुरुदेव की ऐसी वाणी सुनकर राजादशरथ मन की गति से चलने वाले अपने दिव्यरथ पर बैठकर धनुष बाण तथा दिव्यास्त्रों सहित
सूर्य से भी ऊपर नक्षत्र मंडल में गए और वहां रोहिणी नक्षत्र के पृष्ठभाग में स्थित होकर शनिदेव को लक्ष्य बनाकर धनुष पर महाशक्तिशाली
'संहारास्त्र' को चढ़ाया तो यह देखकर शनिदेव भी अंदर से डर गए |
शनिदेव ने दिया दशरथ को वरदान
अपने भय को छुपाते हुए बोले कि हे राजन ! मैं तुम्हारे तप, पौरुष और दिव्यसाहस से अति प्रसन्न हूं मैं जिसकी तरफ भी देखता हूं वह देव,
दानव कोई भी हो भस्म हो जाता है, पर मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं तुम्हारी जो इच्छा हो वर मांग लो | शनिदेव के ऐसा कहने पर दशरथ जी ने
कहा कि, हे शने ! जबतक पृथ्वी, सूर्य, चंद्र आदि हैं आप कभी रोहिणी का भेदन न करें | शनिदेव ने ये वर दे दिया और कहा, कोई और भी वर
मांग लो ! तो दशरथ जी ने कहा कि आप ‘शकट भेद’ कभी न करें, शनिदेव ने यह भी वरदान दे दिया, तब महाराज दशरथ हाथ जोड़कर शनि
की इस प्रकार स्तुति करने लगे-
कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च | नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ||
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च | नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ||
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम: | नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते ||
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: | नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ||
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तुते | सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ||
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते | नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ||
तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च | नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ||
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज  सूनवे | तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ||
देवासुरमनुष्याश्च  सिद्धविद्याधरोरगा: | त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ||
प्रसादं कुरु  मे  देव वराहोर्ऽहमुपागत | एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल: ||
जिनके शरीर का वर्ण कृष्णनील तथा भगवान शंकर के समान है उन शनिदेव को नमस्कार है | जो जगत के लिए कालाग्नि एवं कृतांत रूप हैं 
उन शनैश्चर को बारंबार नमस्कार है | जिनका शरीर कंकाल है तथा जिनकी दाढ़ी मूंछ और जटा बढ़ी हुई है उन शनिदेव को प्रणाम है | जिनके
बड़े-बड़े नेत्र पीठ में सटा हुआ पेट और भयानक आकार है, उन शनिदेव को नमस्कार है | जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है जिनके शरीर के
रोम बहुत मोटे हैं जो लंबे चौड़े किंतु सूखे शरीर वाले हैं तथा जिनकी दाढ़ें कालरूप हैं, उन शनिदेव को बारंबार प्रणाम है | हे शनि ! आपके नेत्र
खोखले के समान गहरे हैं, आपकी और देखना कठिन है, आप घोर, रौद्र, भीषण और विकराल हैं आपको नमस्कार है | बलीमुख ! आप सबकुछ
भक्षण करने वाले हैं आपको नमस्कार है | सूर्यनंदन ! भास्करपुत्र ! अभय देने वाले देवता आपको प्रणाम है | नीचे की ओर दृष्टि रखने वाले
शनिदेव आपको नमस्कार है संवर्तक आपको प्रणाम है | मंदगति से चलने वाले शनैश्चर आप का प्रतीक तलवार के समान है | आपको बारम्बार 
प्रणाम है | आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर दिया है आप सदा योगाभ्यास में तत्पर भूख से आतुर और अतृप्त रहते हैं | आपको सदा
सर्वदा प्रणाम है | ज्ञाननेत्र ! आपको नमस्कार है | कश्यपनंदन सूर्य के पुत्र शनिदेव ! आपको नमस्कार है | आप संतुष्ट होने पर राज्य दे देते
हैं और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते हैं | देवता, मनुष्य सिद्ध, विद्याधर असुर और नाग ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो
जाते हैं | हे देव ! मुझ पर प्रसन्न होइये मैं वर पाने के योग्य हूँ और आपकी शरण में हूं |
शनिदेव का तीसरा वरदान- राजा दशरथ की ऐसी स्तुति से शनिदेव अति प्रसन्न हुए और बोले ! कि राजन पुनः कोई वर मागों | दशरथ ने
कहाकि, प्रभु आप किसी भी पृथ्वी वासी को पीड़ा न पहुंचाएं, तो शनिदेव ने कहा राजन ! यह वर असंभव है क्योंकि, जिवों के उनके शुभ-अशुभ
कर्मों के अनुसार सुख-दुख देने के लिए ही ग्रहों की नियुक्ति है किंतु, मैं तुम्हें यह वर देता हूं कि जो तुम्हारे द्वारा रचित इस स्तुति को पढ़ेगा
वह मेरी पीड़ा से मुक्त हो जायेगा | इस प्रकार शनि देव की इस स्तुति का पाठ करके आप भी शानिजन्य दोषों से मुक्त हो सकते हैं |